मॉरीशस: भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपनी तीन दिवसीय मॉरीशस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करते हुए दोनों देशों के बीच विकास और समृद्धि के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। अपनी यात्रा के दौरान मिस्री ने मॉरीशस के प्रमुख नेताओं, राष्ट्रपति धरमबीर गोकूल और प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को बधाई और भारत आने का निमंत्रण
विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को हाल ही में संपन्न चुनावों में मिली उनकी गठबंधन सरकार की सफलता पर बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पहुंचाते हुए उन्हें भारत की यात्रा का निमंत्रण दोहराया। रामगुलाम की सरकार की हालिया जीत ने मॉरीशस में विकास कार्यों को एक नई दिशा देने की उम्मीदें जगाई हैं।
द्विपक्षीय बातचीत और विकास की दिशा
विदेश सचिव की इस यात्रा में भारत और मॉरीशस के बीच विशेष साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय के अनुसार, मिस्री ने मॉरीशस में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लिया और दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवा कॉलेज और कैप मालहुरौक्स में क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र जैसी भारत समर्थित परियोजनाओं की समीक्षा की।
अपरावसी घाट की ऐतिहासिक यात्रा
अपनी यात्रा के दौरान मिस्री ने अपरावसी घाट का दौरा किया, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है। यह स्थल मॉरीशस में भारतीय प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करता है।
भारत की ‘पड़ोस पहले’ और ‘विजन सागर’ नीति का उदाहरण
विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह यात्रा भारत की ‘पड़ोस पहले’, ‘विजन सागर’, ‘अफ्रीका फॉरवर्ड’ और ‘वैश्विक दक्षिण’ नीतियों के अनुरूप है। यह भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत साझेदारी के माध्यम से क्षेत्रीय समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मॉरीशस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात
मिस्री ने मॉरीशस के उपप्रधानमंत्री पॉल बेरेन्जर और विदेश मंत्री धनंजय रामफुल से भी मुलाकात की। इन चर्चाओं में आर्थिक सहयोग, व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में संबंधों को और गहरा करने पर सहमति बनी।
भारत-मॉरीशस संबंधों की मजबूती पर जोर
मॉरीशस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों और साझा लक्ष्यों पर जोर देते हुए, विक्रम मिस्री ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत बनाने की दिशा में काम किया। यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने में एक और मील का पत्थर साबित हुई।