अमेरिका: अमेरिकी राजनीति में एक नया इतिहास रचते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने 50.9% वोट के साथ दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। इलेक्टोरल कॉलेज में ट्रंप को 295 और कमला हैरिस को 226 वोट मिले, जबकि जीत के लिए 270 की आवश्यकता थी। जनवरी में ट्रंप राष्ट्रपति के पदभार को पुनः संभालेंगे। इस चुनाव में ट्रंप ने अवैध शरणार्थियों, अर्थव्यवस्था, और महंगाई जैसे प्रमुख मुद्दों पर जोर दिया, जबकि कमला हैरिस का प्रचार पर्यावरण, गर्भपात और LGBTQ समुदाय के अधिकारों पर केंद्रित था।
ट्रंप को अश्वेत और लैटिनो मतदाताओं का समर्थन
ट्रंप की इस जीत में अश्वेत और लैटिनो मतदाताओं का समर्थन अहम रहा। एपी वोटकास्ट के सर्वेक्षण में, जिसमें 1.20 लाख से अधिक मतदाताओं से राय ली गई थी, यह स्पष्ट हुआ कि इस चुनाव में ट्रंप ने अश्वेत और लैटिनो मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाबी पाई। फ्लोरिडा में मियामी-डेड काउंटी जैसी डेमोक्रेटिक गढ़ों में भी ट्रंप ने मजबूत प्रदर्शन किया, जहां लैटिनो आबादी का प्रतिशत लगभग 68% है। इसके अलावा, 2020 की तुलना में ट्रंप को युवा मतदाताओं का भी अधिक समर्थन प्राप्त हुआ।
अर्थव्यवस्था और महंगाई पर सटीक वार
चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने अर्थव्यवस्था को प्रमुख मुद्दा बनाया, यह कहते हुए कि बाइडन प्रशासन महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण रखने में नाकाम रहा है। उनके अनुसार, महंगाई और आर्थिक मंदी से जनता त्रस्त थी, जिससे मतदाताओं में मौजूदा प्रशासन के प्रति असंतोष बढ़ा। ट्रंप ने इस मुद्दे पर बाइडन की आलोचना करते हुए अपनी मजबूत आर्थिक नीतियों का वादा किया, जिससे उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिला।
आयकर कटौती का वादा
ट्रंप के इस चुनावी अभियान में एक और महत्वपूर्ण वादा था – आयकर में भारी कटौती या इसे समाप्त करना। उन्होंने अमेरिकी जनता को राहत देने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव रखा कि आयकर के बदले चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाया जाएगा। इस वादे से ट्रंप ने जनता का ध्यान खींचा, जिससे अमेरिका में रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावनाओं पर भी जोर दिया।
अवैध शरणार्थियों पर सख्त रुख
अमेरिका में अवैध शरणार्थियों की समस्या को ट्रंप ने एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया। उनका कहना था कि अवैध प्रवासियों के कारण अमेरिका के संसाधनों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और रोजगार के अवसर सीमित होते हैं। उन्होंने बाइडन प्रशासन के इस मामले में लापरवाह रवैये पर निशाना साधा और अपनी सख्त इमीग्रेशन नीति को जनता के सामने पेश किया।
आक्रामक विदेश नीति ने दिलाया समर्थन
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और आक्रामक विदेश नीति ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को आर्थिक सहायता देने के खिलाफ अपनी राय जाहिर की, जिससे अमेरिकी करदाताओं का बोझ कम होगा। साथ ही, नाटो के उन सदस्य देशों के खिलाफ भी मुखर रहे जो रक्षा खर्च का भुगतान नहीं करते। उनकी रणनीति अमेरिकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, जो जनता को पसंद आई।