नई दिल्ली: दिल्ली के कपूरथला हाउस में मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक पार्टी के भीतर बढ़ते आंतरिक असंतोष के बीच आयोजित की गई, जिसमें मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक का उद्देश्य दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों का विश्लेषण करना और पंजाब के नेताओं से आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव (2027) के लिए रणनीति पर विचार-विमर्श करना था।
पंजाब के नेताओं की सक्रियता दिल्ली में चुनाव प्रचार में
बैठक में शामिल होने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक तथा AAP के राज्य इकाई के सभी प्रमुख नेता दिल्ली में हफ्तों तक डेरा डाले हुए थे, जहाँ उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी उम्मीदवारों के प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पंजाब के नेताओं की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए बैठक का आयोजन किया गया था, ताकि 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर रणनीति बनाई जा सके।
#WATCH | Delhi: Punjab State AAP President Aman Arora says, "… Arvind Kejriwal calls Punjab MLAs, minister and office bearers time and again… The MLAs of Punjab worked very hard in Delhi, and that may also be the reason why he wants to meet…" pic.twitter.com/H6qRQCSPZY
— ANI (@ANI) February 11, 2025
विपक्षी दलों के आरोप और अटकलें
इस बीच, विपक्षी दलों ने इस बैठक को लेकर अपनी आशंकाएं जताई हैं। भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के अहंकार को ध्वस्त कर दिया है और अब यह प्रतीत होता है कि पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की स्थिति खतरे में है। वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि पंजाब में शासन दरअसल अरविंद केजरीवाल के हाथों में है, न कि भगवंत मान के।
प्रताप सिंह बाजवा का दावा और AAP नेताओं का विरोध
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया कि 30 से अधिक AAP विधायक उनके संपर्क में हैं और कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP के नेता गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि बाजवा को इन अफवाहों का स्रोत समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बदलाव नहीं होगा और भगवंत मान ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। AAP के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने भी बाजवा के आरोपों को खारिज किया और इसे महज अटकलें बताया।
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AAP नेताओं की दिल्ली बैठक पर विपक्ष की आलोचना
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस बैठक को लेकर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि पंजाब का शासन दिल्ली से नियंत्रित किया जा रहा है, जबकि भाजपा ने आरोप लगाया है कि पंजाब सरकार माफिया को नियंत्रित करने में विफल रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि पंजाब में शराब, रेत और खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में भगवंत मान की सरकार असफल रही है।
पंजाब में कैबिनेट बैठक की अनदेखी और असंतोष के संकेत
इस बैठक से एक दिन पहले, पंजाब सरकार ने कैबिनेट बैठक स्थगित कर दी थी, जिसे पांच महीने बाद आयोजित किया जाना था। विपक्षी दलों ने इसे पंजाब सरकार के नेतृत्व में असंतोष का संकेत माना। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केजरीवाल को पंजाब में खुद जाकर नेताओं से बात करनी चाहिए थी, बजाय इसके कि वह उन्हें दिल्ली बुलाकर बैठक करें। इससे कांग्रेस के उस दावे को बल मिलता है कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चल रही है।
AAP में असंतोष और भविष्य की दिशा
इस बैठक से जुड़ी चर्चाओं और आरोपों के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि AAP की पंजाब इकाई में असंतोष की लहर फैल चुकी है। कांग्रेस के पंजाब प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि AAP के विधायक दिल्ली से नियंत्रित होने को लेकर परेशान हैं और इसके परिणामस्वरूप पार्टी में टूट की संभावना बढ़ सकती है। पंजाब की राजनीतिक स्थिति अब इस बात पर निर्भर करती है कि भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद पार्टी के भीतर एकजुटता बनी रहती है या नहीं।