नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ करते हुए भारत ने अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित 31 MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन की खरीद के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सौदा करीब 32,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें भारत में ड्रोन के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) के लिए एक सुविधा की स्थापना भी शामिल है। इस समझौते से भारतीय सशस्त्र बलों की निगरानी और हवाई क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच डेलावेयर में आयोजित क्वाड लीडर्स समिट के बाद कुछ ही हफ्तों के भीतर हुआ है। इस परियोजना को हाल ही में भारत की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने मंजूरी दी थी।
रक्षा सौदे की प्रमुख बातें
इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 15 MQ-9B ड्रोन मिलेंगे, जबकि शेष 16 ड्रोन वायुसेना और थलसेना के बीच बराबर वितरित किए जाएंगे। सौदे की कुल लागत 34,500 करोड़ रुपये तक हो सकती है, जो भारतीय सेना की सामरिक शक्ति को काफी बढ़ाएगी।
MQ-9B ड्रोन, जिसे शिकारी ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है, अपनी स्टील्थ विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह ड्रोन 442 किमी/घंटा की अधिकतम गति से उड़ान भर सकता है और 50,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो इसे वाणिज्यिक विमानों की तुलना में काफी ऊंचाई पर ले जाने में सक्षम बनाता है। यह किसी भी प्रकार के मौसम में विस्तारित मिशन के लिए आदर्श है और यह जमीन से 250 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए लक्ष्य को बिना पता लगे हमला करने में सक्षम है।
सौदे की स्वीकृति और रणनीतिक महत्त्व
भारत पिछले कई वर्षों से अमेरिका के साथ इस सौदे पर चर्चा कर रहा था, लेकिन अंतिम बाधाओं को हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में दूर किया गया। यह सौदा 31 अक्टूबर से पहले मंजूर होना अनिवार्य था क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तभी तक थी।
भारत चार प्रमुख स्थानों पर इन ड्रोन को तैनात करने की योजना बना रहा है: चेन्नई के पास आईएनएस राजाली, गुजरात के पोरबंदर, उत्तर प्रदेश के सरसावा और गोरखपुर। यह रणनीतिक स्थानों पर इन ड्रोनों की तैनाती भारत की समुद्री और थल सीमाओं की निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।
ड्रोन की विशेषताएँ और परिचालन क्षमता
MQ-9B ड्रोन की सबसे बड़ी विशेषता इसका शांत संचालन और स्टील्थ क्षमता है, जिससे इसे ट्रैक करना बेहद कठिन होता है। यह बिना ईंधन भरे 2,000 मील तक उड़ान भर सकता है और 1,700 किलोग्राम तक का माल ले जा सकता है, जिसमें चार मिसाइलें और लगभग 450 किलोग्राम बम शामिल हैं।
यह ड्रोन हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस किया जा सकता है, जिससे इसे कई प्रकार के अभियानों के लिए आदर्श माना जाता है। जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स का दावा है कि यह ड्रोन 35 घंटे तक लक्ष्य के ऊपर मंडरा सकता है और अपनी उच्चतम ऊंचाई से खुफिया जानकारी जुटाने में सक्षम है।