Wednesday, April 16, 2025
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भारतीय वायुसेना के विमान पर म्यांमार में GPS स्पूफिंग का खतरनाक साइबर हमला, कौन है इसके पीछे?

नई दिल्ली: म्यांमार में राहत सामग्री पहुंचाने गए भारतीय वायुसेना के विमान को एक अत्यंत गंभीर और अनोखे साइबर हमले का सामना करना पड़ा। डिफेंस सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना का पहला C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान, जो ऑपरेशन ‘ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार के लिए रवाना हुआ था, म्यांमार के एयरस्पेस में उड़ान भरते समय GPS स्पूफिंग का शिकार हुआ।

क्या है GPS स्पूफिंग?

GPS स्पूफिंग एक अत्याधुनिक साइबर हमला है, जिसमें किसी डिवाइस को वास्तविक GPS सिग्नल की जगह फर्जी और ताकतवर सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे उसकी लोकेशन गलत दर्शाई जाती है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि विमान या किसी भी GPS आधारित प्रणाली को धोखे में रखकर गलत दिशा में मोड़ा जा सकता है। यह न केवल सैन्य बल्कि नागरिक उड्डयन के लिए भी गहन खतरा बनता जा रहा है।

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INS तकनीक बनी सुरक्षा कवच

सौभाग्यवश, भारतीय वायुसेना के विमानों में केवल GPS पर निर्भरता नहीं होती। इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) जैसे पुराने लेकिन विश्वसनीय नेविगेशन पद्धतियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। जब C-130J के पायलटों को GPS सिग्नल में असामान्यता का संदेह हुआ, तब उन्होंने तुरंत INS और अन्य बैकअप सिस्टम का प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रित किया और विमान को सुरक्षित रखा।

क्या चीन है इस साइबर हमले के पीछे?

हालांकि हमले की आधिकारिक पुष्टि और जिम्मेदारी किसी संगठन या देश ने नहीं ली है, परंतु रक्षा विशेषज्ञों और सुरक्षा एजेंसियों की नजर चीन और उसके समर्थित उग्रवादी गुटों पर है। म्यांमार में चीन की टेक्नोलॉजिकल उपस्थिति और साइबर क्षमता को देखते हुए यह आशंका बलवती हो रही है कि यह हमला चीन समर्थित नेटवर्क द्वारा किया गया हो सकता है।

दुनिया भर में बढ़ रहा स्पूफिंग का खतरा

GPS जैम पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार और पाकिस्तान की सीमाएं अब GPS स्पूफिंग के विश्व के शीर्ष 5 संवेदनशील इलाकों में शामिल हो चुकी हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भी स्थिति चिंताजनक है। सिविल एविएशन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच केवल अमृतसर और जम्मू के आसपास 465 GPS स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गई हैं।

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साल 2024 में स्पूफिंग में 500% की वृद्धि

OPSGROUP की वैश्विक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2024 में GPS स्पूफिंग की घटनाओं में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां पहले प्रतिदिन 300 फ्लाइट्स प्रभावित होती थीं, वहीं अब यह आंकड़ा 1500 फ्लाइट्स प्रतिदिन तक पहुंच चुका है। यह न केवल सैन्य बल्कि नागरिक विमानन क्षेत्र के लिए भी अत्यंत गंभीर खतरे का संकेत है।

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