नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में एक बार फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। यह माफी सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आई है।
अदालत ने जताई थी नाराजगी
मंगलवार, 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि द्वारा प्रकाशित किए गए पहले माफीनामे पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा था कि माफीनामा छोटा था और उसमें रामदेव और बालकृष्ण के नाम का उल्लेख नहीं था।
क्या माफी उतनी ही बड़ी है, जितने बड़े थे विज्ञापन?
जस्टिस कोहली ने पूछा था, “क्या यह माफी उतने ही बड़े अक्षरों और उतने ही प्रमुख स्थान पर प्रकाशित की गई है, जितने बड़े अक्षरों और प्रमुख स्थान पर आपने अपने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए थे?”
दोबारा छपे विज्ञापन
इसके बाद पतंजलि ने बुधवार, 24 अप्रैल को अखबारों में दोबारा बड़े विज्ञापन छपवाए। इन विज्ञापनों में “बिना शर्त सार्वजनिक माफी” शीर्षक के तहत लिखा गया है, “भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चल रहे मामले (रिट याचिका संख्या 645/2022) के मद्देनजर, हम अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ कंपनी की ओर से, गैर-अनुपालन या अवज्ञा के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।”
क्या होगा आगे?
अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी और रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है।
यह मामला
यह मामला भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पतंजलि अपने उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन दे रही है।
विवादित विज्ञापन
विवादित विज्ञापनों में पतंजलि के आयुर्वेदिक उत्पादों को एलोपैथिक दवाओं से बेहतर बताया गया था। IMA का आरोप है कि इन विज्ञापनों से लोगों को गलत जानकारी मिल रही है और वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए गलत दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।