Monday, February 3, 2025
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दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची से भारत गायब, फोर्ब्स की रैंकिंग पर उठे सवाल

2025 के टॉप 10 पावरफुल देशों की लिस्ट में भारत नदारद, सऊदी अरब और इजरायल को मिली जगह

नई दिल्ली। फोर्ब्स ने 2025 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची जारी की है, लेकिन इस बार भारत को टॉप 10 से बाहर कर दिया गया है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति के बावजूद भारत का इस सूची से बाहर होना कई सवाल खड़े कर रहा है। खास बात यह है कि सऊदी अरब और इजरायल जैसे देशों को इस सूची में जगह दी गई है, जिससे आलोचना और विवाद दोनों ने जोर पकड़ लिया है।


भारत के बाहर होने से बढ़ी हैरानी, रैंकिंग के मानकों पर उठे सवाल

फोर्ब्स द्वारा जारी की गई यह सूची यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट के डाटा पर आधारित है, जिसमें पांच प्रमुख मानकों को आधार बनाया गया है—देश का नेतृत्व, आर्थिक प्रभाव, राजनीतिक प्रभाव, सैन्य शक्ति और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़।

भारत के बाहर रहने पर रक्षा विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह फैसला भारत की वैश्विक भूमिका को कम आंकने का प्रयास है। सवाल यह भी है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आर्थिक महाशक्ति को इस सूची से बाहर क्यों रखा गया?


2025 के सबसे शक्तिशाली 10 देशों की सूची

रैंकदेशजीडीपी (डॉलर में)जनसंख्यामहाद्वीप
1अमेरिका30.34 ट्रिलियन34.5 करोड़उत्तरी अमेरिका
2चीन19.53 ट्रिलियन141.9 करोड़एशिया
3रूस2.2 ट्रिलियन14.4 करोड़यूरोप
4यूनाइटेड किंगडम3.73 ट्रिलियन6.91 करोड़यूरोप
5जर्मनी4.92 ट्रिलियन8.45 करोड़यूरोप
6दक्षिण कोरिया1.95 ट्रिलियन5.17 करोड़एशिया
7फ्रांस3.28 ट्रिलियन6.65 करोड़यूरोप
8जापान4.39 ट्रिलियन12.37 करोड़एशिया
9सऊदी अरब1.14 ट्रिलियन3.39 करोड़एशिया
10इजरायल550.91 बिलियन93.8 लाखएशिया

भारत के बाहर होने के पीछे की वजहें: क्या है फोर्ब्स का तर्क?

फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह रैंकिंग BAV ग्रुप और व्हार्टन स्कूल, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड रीबस्टीन के नेतृत्व में तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रैंकिंग के मानक केवल सैन्य ताकत और आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश की वैश्विक छवि, कूटनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को भी ध्यान में रखा गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही भारत की सैन्य और आर्थिक स्थिति मजबूत हो, लेकिन वैश्विक कूटनीति और राजनीतिक प्रभाव के पैमानों पर रैंकिंग में भेदभाव किया गया है।


क्या फोर्ब्स के रैंकिंग मॉडल में है खामी?

भारत को टॉप 10 से बाहर रखने पर कई जानकारों ने फोर्ब्स के रैंकिंग मॉडल पर सवाल खड़े किए हैं। भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका, जैसे कि G20 की मेजबानी, चंद्रयान-3 की सफलता, और वैश्विक मंचों पर सक्रियता को नजरअंदाज करना आश्चर्यजनक है।

रक्षा विश्लेषक अरुण मिश्रा का कहना है,
“भारत की सैन्य शक्ति और वैश्विक कूटनीतिक सक्रियता को इस तरह दरकिनार करना फोर्ब्स की रैंकिंग पद्धति की सीमाओं को दर्शाता है।”


सऊदी अरब और इजरायल को क्यों मिली जगह?

सऊदी अरब और इजरायल का इस सूची में शामिल होना भी चर्चा का विषय है। तेल संपदा और क्षेत्रीय राजनीति में सऊदी अरब का दबदबा और इजरायल की सैन्य तकनीक में विशेषज्ञता ने उन्हें इस रैंकिंग में ऊपर रखा है। लेकिन क्या यह भारत जैसे विशाल देश के प्रभाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है? यही सवाल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए जा रहे हैं।


अंतिम सवाल: क्या भारत को कम आंका गया या है कोई रणनीतिक एजेंडा?

फोर्ब्स की रैंकिंग के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या भारत को जानबूझकर वैश्विक ताकतों की सूची से बाहर किया गया है? क्या यह एक रणनीतिक एजेंडा है या फिर महज एक तकनीकी चूक?

भारत के नागरिकों और विशेषज्ञों के मन में यही सवाल गूंज रहा है—“क्या फोर्ब्स की नजर में भारत की ताकत वाकई इतनी कमजोर है, या यह किसी बड़े वैश्विक एजेंडे का हिस्सा है?”

यह रहस्य अभी सस्पेंस बना हुआ है, जिसका जवाब भविष्य की वैश्विक राजनीति में ही मिलेगा।

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