नई दिल्ली/मेरठ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मेरठ निवासी पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। नितिन सिंह पार्टी के सेंट्रल कोऑर्डिनेटर और दिल्ली प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों के प्रभारी थे। उनके साथ ही पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। दोनों नेताओं पर गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा है।
बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस निर्णय की घोषणा करते हुए लिखा, ‘बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व नितिन सिंह, मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।’

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद निष्कासन पर उठे सवाल
नितिन सिंह और अशोक सिद्धार्थ के निष्कासन के समय को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है। दोनों नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार में सक्रिय थे, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक इस फैसले के पीछे संभावित रणनीतिक कारणों को लेकर अटकलें लगा रहे हैं।
नितिन सिंह मेरठ के मंगल पांडे नगर के निवासी हैं और एक समय मेरठ मंडल के कोऑर्डिनेटर भी रह चुके हैं। उनका राजनीतिक संबंध भी मजबूत रहा है, क्योंकि उनके नाना हस्तिनापुर के विधायक रहे थे।
बसपा का दिल्ली में खराब प्रदर्शन
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। 55 सीटों पर पार्टी को 1,000 से अधिक वोट भी नहीं मिल सके। कई सीटों पर पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) से भी पीछे रह गई। बसपा को कुल 0.58 प्रतिशत वोट मिले, जो पार्टी के गिरते जनाधार को दर्शाता है।

नितिन सिंह की प्रतिक्रिया
निष्कासन के बाद नितिन सिंह ने बयान जारी कर कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘पार्टी का आदेश सर्वोपरि है। मैं बसपा के मिशनरी सिपाही के रूप में कार्य करता रहूंगा, चाहे पार्टी के भीतर रहूं या बाहर।’
कौन हैं अशोक सिद्धार्थ?
अशोक सिद्धार्थ को मायावती के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता था। वह उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज के निवासी हैं। मायावती के कहने पर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर बसपा की राजनीति में कदम रखा था। सरकारी सेवा के दौरान भी वह बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटीज कम्युनिटीज एम्प्लॉयीज फेडरेशन) से जुड़े रहे।
उनकी पत्नी सुनीता सिद्धार्थ 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष भी रही हैं।