लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग में जातिगत पोस्टिंग के आरोपों को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा प्रयागराज में जाति विशेष को थानों में तैनात किए जाने के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रदेश पुलिस महकमे की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी गई है।
भाजपा अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी का पलटवार
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने अखिलेश यादव के आरोपों को बेबुनियाद और भ्रामक बताते हुए कहा कि सपा अध्यक्ष को झूठ बोलने में महारत हासिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के शासनकाल में थाने एक विशेष जाति के लोगों के हवाले थे और दलितों को न्याय के लिए भटकना पड़ता था। उन्होंने कहा:

“उस समय थानों में सपाई गुंडे हावी थे, जिससे आम जनता, खासकर दलित वर्ग को न्याय नहीं मिल पाता था। वर्तमान सरकार में तैनातियों में योग्यता और संवैधानिक निर्देशों का पालन होता है, न कि जाति या मजहब के आधार पर।”
थानों में जातीय भागीदारी पर भाजपा के आँकड़े
प्रदेश अध्यक्ष ने आगरा, मैनपुरी और चित्रकूट जिलों के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि जातीय विविधता और सामाजिक न्याय का पूरा ध्यान रखा गया है:
- आगरा पुलिस कमिश्नरेट में:
- 39% ओबीसी
- 18% एससी
- जबकि ओबीसी के लिए निर्धारित मानक केवल 27% है।
- मैनपुरी में:
- 31% ओबीसी
- 19% एससी
- चित्रकूट में कुल 12 थानों में:
- 3 ओबीसी
- 2 एससी/एसटी
- 7 अन्य वर्ग
इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि एससी, ओबीसी वर्ग की भागीदारी मानकों से अधिक है, और जातिगत भेदभाव का आरोप आधारहीन है।
डीजीपी की सख्त चेतावनी और स्पष्टता
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने बिना किसी का नाम लिए बयान जारी कर कहा कि:
“जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को पुलिस में जातिगत पोस्टिंग को लेकर अफवाह नहीं फैलानी चाहिए। सोशल मीडिया पर फैलाए गए भ्रामक आंकड़ों का संबंधित जिलों की पुलिस पहले ही खंडन कर चुकी है। भविष्य में भी यदि कोई गलत सूचना फैलाई जाती है, तो उसकी सच्चाई सार्वजनिक की जाएगी।”

डीजीपी ने स्पष्ट किया कि पुलिसकर्मियों की तैनाती पूरी तरह स्थापित मानकों और सेवा नियमों के अनुसार की जाती है।
सपा अध्यक्ष का आरोप और विरोध
अखिलेश यादव ने प्रयागराज में दिए गए बयान में आरोप लगाया था कि आगरा और मैनपुरी के थानों में एक विशेष जाति को तैनात किया गया है, जबकि अन्य वर्गों की उपेक्षा की गई है। उन्होंने इसे सरकारी पक्षपात बताते हुए सामाजिक न्याय पर सवाल खड़े किए थे।