नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर 11वें दौर की उच्चस्तरीय वार्ता सोमवार, 13 मई से दिल्ली में शुरू हो रही है। यह वार्ता 16 मई तक चलेगी, जिसमें दोनों पक्ष पहले चरण के समझौतों को अंतिम रूप देने की दिशा में अहम चर्चा करेंगे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, अमेरिका द्वारा वैश्विक व्यापार पर डाले जा रहे टैरिफ दबाव और व्यापारिक अनिश्चितता को देखते हुए भारत और ईयू ने FTA को दो चरणों में पूरा करने पर सहमति जताई है। इस रणनीति के तहत उन मुद्दों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिन पर सहमति बन चुकी है।

प्रथम चरण में इन मुद्दों पर बनेगी सहमति
पिछले यानी दसवें दौर की वार्ता में जिन मुद्दों पर उल्लेखनीय प्रगति हुई थी, उन्हें पहले चरण में शामिल किया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
- बाजार पहुंच प्रस्ताव
- वस्त्र एवं परिधान व्यापार
- सेवाओं का निर्यात और निवेश
- सरकारी खरीद (Public Procurement)
इसके अतिरिक्त, बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR), डिजिटल व्यापार, और स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा अपेक्षित है।
ईयू की प्रमुख मांगें: शुल्क कटौती और बौद्धिक संपदा सुरक्षा
यूरोपीय संघ ने भारत से ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, और विशिष्ट कृषि उत्पादों जैसे:
- वाइन और स्पिरिट्स
- मांस और पोल्ट्री उत्पादों
पर आयात शुल्क में कटौती की मांग की है। इसके अलावा, ईयू चाहता है कि भारत बौद्धिक संपदा संरक्षण प्रणाली को मजबूत करे, जिससे यूरोपीय निवेशकों को भारत में बेहतर सुरक्षा मिले।

भारत की प्राथमिकताएं और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, और पेशेवर सेवाओं को यूरोपीय बाजारों में और अधिक पहुंच दिलाने की मांग की जा रही है। साथ ही, भारत सरल निवेश नियमों और संतुलित डेटा सुरक्षा व्यवस्था पर भी जोर दे रहा है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल कर रहे हैं, जबकि ईयू प्रतिनिधिमंडल में व्यापार और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ उच्च अधिकारी शामिल हैं।