पिलानी क़ी बेटी सारिका चौधरी ने यूपीएससी एग्जाम क्लियर कर झुंझुनू जिले का नाम रोशन किया है। सारिका ने 5वें प्रयास में यूपीएससी एग्जाम में 548वीं रैंक हासिल की है। आईएएस बन कर लौटी बेटी का पिलानी में जोरदार स्वागत किया गया।
सारिका चौधरी का परिवार पिलानी के वार्ड नंबर 31 में रहता है। पिता मुकेश चौधरी 2020 में तहसीलदार के पद से रिटायर हुए हैं और माँ सुमन चौधरी पिलानी के नजदीक गाँव बनगोठड़ी के सरकारी स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं।
सारिका की स्कूलिंग बिरला बालिका विद्यापीठ स्कूल से हुई है जहां से 2011 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी क़ी हिन्दू कॉलेज में हिस्ट्री ऑनर्स विषय में दाखिला लिया और वहीं से फिर 2016 में मास्टर्स भी किया। सारिका ने अपनी मास्टर्स डिग्री यूनिवर्सिटी में टॉपर रहते हुए पूरी की और गोल्ड मैडल हासिल किया। बाद में 2018 में उन्होंने जेएनयू से एमफिल किया।

5वें प्रयास में क्रैक किया एग्जाम
सारिका ने बताया कि 2019 में पहली बार यूपीएससी एग्जाम दिया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद लगातार 4 बार प्रयास किए लेकिन असफल रहीं। असफलता को उन्होंने चुनौती के तौर पर स्वीकार किया और कड़ी मेहनत से 5वीं बार में यूपीएससी एग्जाम को क्रैक किया। सारिका के नाना फतेह सिंह लाम्बा ने बचपन में ही सारिका को कहा था क़ी तुम एक दिन यूपीएससी क्रैक करोगी। आज सारिका ने आईएएस बन कर अपने नाना का सपना आज पूरा कर दिखाया है।

टारगेट मुश्किल, मगर असम्भव नहीं
आईएएस बनने की अपनी जर्नी के बारे में बताते हुए सारिका ने अपने अनुभव दैनिक भास्कर के साथ साझा किए। उन्होंने बताया कि यह जर्नी काफी सारी विफलताओं से भरी है और स्ट्रगल भी है। अगर कोई भी अस्पिरेंट यूपीएससी एग्जाम को क्रैक करने का निर्णय लेता है तो उसे सफलता से पहले इस प्रोसेस में फेस किए जाने वाले अकेलेपन, फेल्योर और कभी-कभी डिप्रेशन से भी जूझना पड़ेगा। सारिका ने आईएएस बनने का सपना देखने वाले स्टूडेंट्स के लिए कहा कि इस एग्जाम में मिलने वाली सफलता निसंदेह शानदार होती है, लेकिन सफर कतई आसान नहीं है। अगर आपको खुद पर इतना विश्वास हो कि संघर्ष को झेल पाओगे, तभी इसकी तैयारी शुरू करें। सारिका ने बताया कि 2019 में आईएएस की तैयारी शुरू करने से पहले वो पीएचडी करना चाह रही थी लेकिन फिर देश की सबसे बड़ी सर्विस के लिए खुद को तैयार किया। लगातार 4 बार प्री एग्जाम भी क्वालीफाई नहीं कर पाने की वजह से कुछ पल ऐसे भी आए, जब लगा कि कुछ और बहुत अच्छा कर सकती थी। सारिका ने बताया कि जब भी कॉन्फिडेंस कम होता तब परिवार का सपोर्ट बहुत पॉजिटिव रहा। पॉजिटिविटी बनाए रखने के लिए सारिका प्रसिद्ध जापानी दार्शनिक दाईसाकू इकेदा की जीवनी को पढ़ती थी।

सारिका के बड़े भाई बैंक ऑफ बड़ौदा में प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। छोटा भाई सौरभ और बहन निधि कॉम्पिटिशन एग्जाम्स की तैयारी कर रहे हैं। चाचा रतन सिंह और मौसी कंचन भी टीचर हैं।
आईएएस बन कर लौटी लाडली बेटी के लिए परिवार और कस्बे के लोगों ने पलक पांवड़े बिछा दिए। सारिका को सजी धजी खुली जीप में घर तक लाया गया। बाद मे पारिवारिक माहौल में हुए समारोह में उन्हें सम्मानित किया गया जहां बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने सारिका व उनके परिजनों को बधाई दी।