पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन की एक अस्थाई महिला कर्मचारी द्वारा अपने खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाए जाने की पृष्ठभूमि में गुरुवार को ‘सच के सामने’ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए 02 मई के सीसीटीवी फुटेज करीब 100 लोगों को दिखाया है। हालांकि, सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग कोलकाता पुलिस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नहीं दिखाया जाएगा।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि राजभवन में संविदा पर नियुक्त महिला कर्मचारी ने राजभवन में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए राजभवन की एक संविदा कर्मचारी ने पिछले गुरुवार को कोलकाता पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि बोस ने 24 अप्रैल और दो मई को राजभवन में उसके साथ छेड़छाड़ की थी। हालांकि, राज्यपाल ने आरोप को खारिज किया था और दावा किया था कि चुनाव में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए ये आरोप लगाए गए हैं।
पुलिस ने बुलाया था पूछताछ के लिए राजभवन के कर्मचारियों को
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने राजभवन के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन पहले दिन कोई पेश नहीं हुआ। राज्यपाल ने भी कथित तौर पर कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में पुलिस का सहयोग नहीं करना है। राजभवन से जारी बयान में आरोप लगाया गया कि यहां की पुलिस राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशों के तहत काम कर रही है। ऐसे में वह संबंधित सीसीटीवी फुटेज इन दोनों को छोड़कर 100 लोगों को दिखाने के लिए तैयार है। राजभवन की तरफ से सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जारी बयान में कहा गया कि पुलिस के आरोप मनगढ़ंत हैं।
सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखाने के आरोप पर बयान
राजभवन की तरफ से सोशल मीडिया हैंडल- एक्स पर जारी बयान में कहा गया था कि पुलिस के आरोप मनगढ़ंत हैं। इसका पर्दाफाश करने के लिए राज्यपाल ने ‘सच के सामने’ कार्यक्रम शुरू किया है। पुलिस की जांच को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए राजभवन ने कहा था कि एक घटना की सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखाए जाने के आरोप सही नहीं हैं।