नई दिल्ली, 22 मई 2024: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस फैसले को सुनाया।
फैसले में कोई त्रुटि नहीं
पीठ ने अपने निर्णय में कहा, “11 दिसंबर, 2023 को पारित हमारे फैसले की समीक्षा करने के बाद, हमें सुप्रीम कोर्ट के नियम 2013 के आदेश एक्सएल सात, नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं मिला।” इसके साथ ही पीठ ने राष्ट्रपति के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीन लिया था।
पुनर्गठन अधिनियम पर टिप्पणी से परहेज
अदालत ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिकता पर फैसला देने से परहेज किया और जम्मू-कश्मीर की विधान सभा के चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा तय की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया था। पीठ ने कहा था कि 1947 में जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय के साथ शुरू हुए अनुच्छेद 370 के प्रावधान को खत्म करना समय की मांग थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अनुच्छेद 370 हमेशा एक अस्थायी प्रावधान था।