पाकिस्तान-अफगानिस्तान: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के दिनों में आतंकवाद को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दी है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुले तौर पर चेतावनी दी है कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में घुसकर मारने में कोई संकोच नहीं करेगा।
टीटीपी पर पाकिस्तान का संभावित हमला
पाकिस्तान इन दिनों आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे सैन्य अभियान के तहत अफगानिस्तान में प्रतिबंधित आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों को निशाना बना सकता है। इस संभावित कार्रवाई से अफगानिस्तान तिलमिला उठा है। उसने शुक्रवार को पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसके देश में घुसपैठ की गई तो उसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।
अफगानिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान के रक्षा बल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके क्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अफगान रक्षा बलों ने कहा, “हमारे क्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ, चाहे वह किसी भी बहाने या आड़ में हो, इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अगर किसी को लगता है कि अफगानिस्तान कमजोर है तो वह भूल कर रहा है। कोई हमला करके तो देखे, जवाब दिया जाएगा।”
ख्वाजा आसिफ की धमकी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में बताया कि अगर आवश्यकता पड़ी तो पाकिस्तान अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगा। उन्होंने कहा, “यदि आवश्यकता पड़ी, तो पाकिस्तान की संप्रभुता से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।”
आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए और यही हम करेंगे। उन्होंने अफगानिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है जब अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किया जाता है, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को वहां के लोगों द्वारा सुरक्षा और सुरक्षित पनाहगाह दी जाती है।”
विपक्ष का विरोध
ख्वाजा आसिफ के बयान की निंदा केवल तालिबान ने ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं ने भी की है। विपक्षी नेताओं ने रक्षा मंत्री के बयान की निंदा के साथ ही उनसे माफी की भी मांग की है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता उमर अयूब खान ने कहा, “ख्वाजा आसिफ के बयान से तनाव बढ़ने और आतंकवाद की लहर भड़कने की संभावना है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के किए गए प्रयासों पर पानी फिर सकता है।”
पाकिस्तान का सैन्य अभियान
पाकिस्तान की सरकार ने हाल ही में ‘अज्म-ए-इस्तेहकम’ (स्थिरता के लिए संकल्प) नाम के सैन्य अभियान को मंजूरी दी है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के विद्रोहियों द्वारा अपनी सरजमीं का इस्तेमाल रोकना है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान में बढ़ती दुश्मनी
पिछले दो सालों में दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध काफी खराब हो गए हैं। कई सीमा झड़पों के कारण अक्सर सीमा पार बंद हो जाती है। इस साल मार्च में, पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान जिले में हुए हमलों के जवाब में अफगान क्षेत्र के अंदर हवाई हमले किए, जिसमें सात सैनिक मारे गए थे।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) कौन है?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जिसे टीटीपी भी कहा जाता है, पाकिस्तान में अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाला सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर टीटीपी के कई हजार लड़ाके मौजूद हैं, जो पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़े हुए हैं।