नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बार फिर से हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है। बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 363 नए मामलों की पुष्टि हुई है, जबकि 1818 संक्रमित ठीक होकर अपने घर लौटे हैं। इस दौरान संक्रमण के कारण दो लोगों की मृत्यु हुई है। पहली मौत कर्नाटक में एक 63 वर्षीय बुजुर्ग की हुई, जो पहले से ही कई बीमारियों से पीड़ित थे। दूसरी मौत केरल में दर्ज की गई, जहां एक 24 वर्षीय युवती की संक्रमण के चलते जान चली गई।
कोरोना के सबसे अधिक मामले वर्तमान में केरल में सामने आ रहे हैं, जहां बीते 24 घंटों में 1400 से अधिक सक्रिय मरीज मिले हैं। महाराष्ट्र में 485, दिल्ली में 436, गुजरात में 320, पश्चिम बंगाल में 287 और कर्नाटक में 238 मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके अलावा तमिलनाडु में 199 और उत्तर प्रदेश में 149 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। देशभर में कुल एक्टिव केश 3711 दर्ज हुए हैं जबकि राजस्थान में 62 कोरोना केश अभी तक दर्ज किए गए हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक राजीव बहल ने बताया कि पश्चिम और दक्षिण भारत से लिए गए सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग में ओमिक्रॉन के नए उप-वेरिएंट्स LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 की पहचान हुई है। इनमें से पहले तीन उप-वेरिएंट्स की उपस्थिति सबसे अधिक पाई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन वेरिएंट्स की प्रकृति अपेक्षाकृत कम गंभीर है और अधिकतर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं पड़ रही।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इन उप-वेरिएंट्स से संक्रमित लोगों में मुख्य रूप से हल्के लक्षण जैसे बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, नाक बहना और थकान देखी जा रही है। हालांकि ये वेरिएंट प्रतिरक्षा प्रणाली को कुछ हद तक प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो कि ये गंभीर या दीर्घकालिक संक्रमण का कारण बनते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इन उप-वेरिएंट्स को चिंताजनक श्रेणी में शामिल नहीं किया है।
राजीव बहल ने बताया कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे सतर्कता बनाए रखें, मास्क का प्रयोग करें, भीड़भाड़ से बचें और स्वच्छता नियमों का पालन करें। साथ ही कहा गया कि सरकार पूरी तरह से सक्रिय है और यदि संक्रमण के मामलों में और बढ़ोतरी होती है तो त्वरित कार्रवाई के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं तैयार रखी जाएंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वर्तमान में अधिकांश मरीजों का उपचार घर पर ही हो रहा है, जिससे अस्पतालों पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं बना है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि संक्रमण को नियंत्रित रखने के लिए सामुदायिक स्तर पर जनजागरूकता बेहद आवश्यक है।