Wednesday, December 18, 2024
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झुंझुनूं: डिलीवरी ऑपरेशन छोड़ने के आरोप में डॉक्टर निर्दोष साबित, जांच टीम ने रिपोर्ट में किया खुलासा

झुंझुनूं, 17 दिसम्बर 2024: झुंझुनूं के राजकीय भगवानदास खेतान (बीडीके) अस्पताल में प्रसव के दौरान लापरवाही के आरोपों की जांच पूरी हो गई है। कलेक्टर रामावतार मीणा के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय चिकित्सक टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। प्रारंभिक जांच में डॉक्टर की लापरवाही नहीं मानी गई है।

क्या था मामला?

13 दिसंबर की रात को शहर के मोतीसिंह की ढाणी निवासी अनीता देवी को प्रसव के लिए राजकीय बीडीके अस्पताल की जनाना विंग में भर्ती कराया गया था। डिलीवरी प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ. आकांक्षा सैनी ने किया। परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर आकांक्षा ने पहले एक बच्चे का प्रसव करा दिया, लेकिन दूसरे बच्चे का प्रसव कराने से इनकार कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने उन्हें जबरन दूसरे अस्पताल में ले जाने के लिए मजबूर किया।

कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश

घटना की गंभीरता को देखते हुए झुंझुनूं कलेक्टर रामावतार मीणा ने पीएमओ डॉ. राजवीर राव को मामले की जांच के निर्देश दिए। इसके तहत तीन सदस्यीय चिकित्सीय टीम का गठन किया गया, जिसमें सर्जन डॉ. रामस्वरूप पायल, गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. मनीषा चौधरी और मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. संजय ऐचरा शामिल थे।

जांच प्रक्रिया और निष्कर्ष

जांच टीम ने डॉ. आकांक्षा सैनी समेत ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टाफ के बयान दर्ज किए। टीम की रिपोर्ट के अनुसार:

  1. पहला बच्चा नॉर्मल डिलीवरी से हुआ था।
  2. दूसरे बच्चे की स्थिति गंभीर थी। जांच में यह सामने आया कि दूसरे बच्चे की धड़कन नहीं होने के कारण ऑपरेशन की आवश्यकता बताई गई थी।
  3. परिजनों का निर्णय: अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, परिजनों ने ऑपरेशन न कराने का फैसला किया और अपनी मर्जी से मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने के संबंध में लिखित सहमति भी दी थी।

रिपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया

जांच टीम ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट पीएमओ डॉ. राजवीर राव को सौंप दी। इसके बाद पीएमओ ने यह रिपोर्ट कलेक्टर रामावतार मीणा और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक को भेज दी है।

डॉक्टर पर लगाए आरोप निराधार

प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि डॉ. आकांक्षा सैनी की ओर से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई। चिकित्सकीय प्रक्रिया के अनुसार, स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन का सुझाव दिया गया था, जिसे परिजनों ने नहीं स्वीकार किया और मरीज को स्वेच्छा से दूसरे अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया।

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