नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने आज न्यूनतम वेतन में वृद्धि की घोषणा की, जो एक अक्टूबर से लागू होगी। इस निर्णय से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी सौगात मिली है। नए आदेश के अनुसार, अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन प्रति माह 18,066 रुपये, अर्ध-कुशल श्रमिकों का 19,929 रुपये और कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 21,917 रुपये होगा।
श्रमिकों के लिए विशेष लाभ
आतिशी ने कहा कि इस बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में दोगुना हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में श्रमिकों को मिलने वाला न्यूनतम वेतन देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है।
‘सम्मानजनक जीवन देना हमारी प्राथमिकता’
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने आम लोगों को सम्मानजनक जीवन देने की कोशिश की है। यह उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले चार महीनों में भी दिल्ली सरकार इसी दिशा में काम करती रहेगी।
दिल्ली में बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाओं और महिलाओं की सुविधाओं के क्षेत्र में किए गए सुधारों की चर्चा करते हुए आतिशी ने कहा कि सरकार ने गरीब तबके के श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए न्यूनतम वेतन को ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचाया है।
बीजेपी की आलोचना
आतिशी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी गरीब विरोधी है। उन्होंने बताया कि जब 2016-17 में दिल्ली में न्यूनतम वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया था, तब बीजेपी ने इसे रोकने का प्रयास किया। हालांकि, अरविंद केजरीवाल की सरकार ने कोर्ट से आदेश लेकर इसे लागू किया और न्यूनतम वेतन में वृद्धि के लिए प्रावधान किया कि यह हर साल दो बार बढ़ेगा।
न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी का ऐतिहासिक कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2013 में अरविंद केजरीवाल सरकार आने से पहले दिल्ली में श्रमिकों का न्यूनतम वेतन मात्र 7,722 रुपये था, जो अब बढ़कर 18,066 रुपये हो गया है। उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों के न्यूनतम वेतन के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि राजस्थान में अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन मात्र 8,063 रुपये, मध्य प्रदेश में 10,000 रुपये, उत्तर प्रदेश में 8,300 रुपये, हरियाणा में 10,000 रुपये और छत्तीसगढ़ में 10,900 रुपये है।