गुवाहाटी, असम: असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को घोषणा की कि उनकी सरकार जल्द ही ‘लव जिहाद’ के मामलों में आजीवन कारावास की सजा के लिए एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विस्तारित प्रदेश कार्यकारिणी की एक बैठक में मुख्यमंत्री ने इस बात की पुष्टि की।
‘लव जिहाद’ पर सख्त कानून
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, “हमने चुनाव के दौरान ‘लव जिहाद’ के बारे में बात की थी। हम जल्द ही एक कानून लाएंगे, जिसमें ऐसे मामलों में आजीवन कारावास की सजा होगी।” यह घोषणा राज्य में सामाजिक और धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।
नई अधिवास नीति
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही एक नई अधिवास नीति पेश की जाएगी जिसके तहत केवल असम में जन्में लोग ही राज्य सरकार की नौकरियों के लिए पात्र होंगे। इस नीति का उद्देश्य मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। शर्मा ने बताया कि चुनाव पूर्व किए गए वादे के अनुसार एक लाख सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी गई है, और पूरी सूची प्रकाशित होने पर यह और स्पष्ट हो जाएगा।
भूमि अतिक्रमण और अधिकारों की रक्षा
शर्मा ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के तहत राज्य पुलिस बल में कांस्टेबल की 30 प्रतिशत नौकरियां एक “विशेष समुदाय” के लोगों को मिली थीं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चंडीगढ़ के आकार के बराबर अतिक्रमण की गई भूमि को अवैध निवासियों से मुक्त कराया है, लेकिन राज्य में अभी भी उत्तर प्रदेश के आकार के 20 गुना भूमि पर अतिक्रमण है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार अविभाजित ग्वालपाड़ा जिले में एक ‘विशेष समुदाय’ के लोगों को भूमि की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाने का प्रस्ताव कर रही है। इस पहल का उद्देश्य भूमि अधिकारों की रक्षा करना और अवैध अतिक्रमण को रोकना है।
भूमि बिक्री पर नियंत्रण
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि असम सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जमीन की बिक्री के बारे में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार इस तरह के लेन-देन को रोक नहीं सकती, लेकिन उसने आगे बढ़ने से पहले मुख्यमंत्री की सहमति लेना अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार ने 7 मार्च को इसी तरह की एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी संभावित ‘सांप्रदायिक संघर्ष’ से बचने के लिए तीन महीने के लिए दो अलग-अलग समुदायों के बीच जमीन की बिक्री पर रोक लगाई गई थी।