नई दिल्ली: कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की एक बार फिर बढ़ती गतिविधियों ने भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंधों में गंभीर तनाव पैदा कर दिया है। इस बार विवाद का केंद्र बना है कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करना। यह आमंत्रण जैसे ही सार्वजनिक हुआ, खालिस्तानी संगठनों ने इसे भारत विरोधी आंदोलन का एक नया मंच मानते हुए उग्र विरोध शुरू कर दिया।
खालिस्तानी समर्थकों की खुली धमकियां और तिरंगे का अपमान
वैंकूवर, टोरंटो और कई अन्य शहरों में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा रैलियां निकाली गईं, जिनमें भारत विरोधी नारे लगे और “किल मोदी” जैसे भड़काऊ नारे लगाए गए। मोचा बेजिरगन नामक एक खोजी पत्रकार ने खुलासा किया कि प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घेरकर धमकाया और पीएम मोदी के खिलाफ हिंसा की धमकी दी। उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या का हवाला देते हुए कहा कि “हम पीएम मोदी की राजनीति का भी वही अंजाम करेंगे।”

खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने भारतीय तिरंगे को तलवार से फाड़ा और उसे आग के हवाले किया, जो कि न केवल भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है बल्कि कनाडा में रह रहे भारतीय समुदाय के लिए भय और आक्रोश का कारण भी बना।
तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें खालिस्तानी झंडे के साथ तिरंगे का अपमान करते हुए प्रदर्शनकारियों को देखा जा सकता है। इससे भारत के आम नागरिकों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
SFJ और गुरपतवंत सिंह पन्नू की भड़काऊ भूमिका
प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इस पूरे विवाद को और हवा दी है। एक वीडियो संदेश में पन्नू ने कनाडाई पीएम को धन्यवाद देते हुए कहा कि “उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को पीएम मोदी को निशाना बनाने का ऐतिहासिक मौका दिया है।”
पन्नू ने पीएम मोदी की कनाडा यात्रा के दौरान 48 घंटे का विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की धमकी दी है, जो उनकी “लैंडिंग से लेकर टेकऑफ” तक जारी रहेगा। पन्नू की इन धमकियों को भारत ने गंभीरता से लिया है और इसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से जोड़ा है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने कहा:
“कनाडा सरकार भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। खालिस्तानी तत्वों को मिली खुली छूट भारत के लिए अस्वीकार्य है।”
पीएम मोदी ने फोन पर पीएम कार्नी से बात करते हुए कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हो रहे हमलों और भारतीय समुदाय को मिल रही धमकियों पर गहरी चिंता जताई। भारत ने साफ कर दिया है कि इस तरह की गतिविधियों को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का नाम देना अब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन गया है।
ऐतिहासिक संदर्भ: कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों का लंबा इतिहास
कनाडा में खालिस्तानी विचारधारा के समर्थकों की गतिविधियां नई नहीं हैं। 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 की बम धमाके से लेकर 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और हिंदुओं को देश छोड़ने की धमकी, ऐसे कई उदाहरण हैं जो भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित करते रहे हैं।
2023 में तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था, जिसे भारत ने बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया था। भारत ने तब भी कनाडा में भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी।

भारत-कनाडा संबंधों पर प्रभाव
नवनिर्वाचित पीएम मार्क कार्नी द्वारा जी-7 आमंत्रण को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की पहल माना जा रहा था, लेकिन खालिस्तानी गतिविधियों ने इस पर पानी फेर दिया है। भारत ने बार-बार कहा है कि कनाडा को खालिस्तानी चरमपंथियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय के अनुसार,
“हमारी प्राथमिकता कनाडा में भारतीय नागरिकों और राजनयिकों की सुरक्षा है। कोई भी देश अपने नागरिकों को ऐसी चरमपंथी गतिविधियों के बीच असुरक्षित नहीं छोड़ सकता।”