तुर्की-पाकिस्तान: तुर्की और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां एक बार फिर दुनिया के सामने आईं जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से इस्तांबुल में मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है। दोनों नेताओं के बीच यह संवाद आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ करने के इरादे से किया गया, लेकिन इसके निहितार्थ भारत के लिए विशेष ध्यान देने योग्य हैं।

शहबाज शरीफ ने जताया आभार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा:
“आज शाम इस्तांबुल में अपने प्रिय भाई राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से मिलने का सम्मान मिला। हाल ही में पाकिस्तान-भारत गतिरोध में पाकिस्तान को उनके दृढ़ समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।”
उनका यह बयान स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि तुर्की एक बार फिर भारत-विरोधी मुद्दों पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है।
Had the honor of meeting my dear brother President Reccep Tayipp Erdogan in Istanbul this evening. Thanked him for his resolute support to Pakistan in the recent Pakistan India standoff which resulted in Pakistan's overwhelming victory Alhamdolillah!Conveyed the sentiments of… pic.twitter.com/EEYxZdIf7g
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) May 25, 2025
तुर्की ने फिर जताया पाकिस्तान के साथ गठजोड़
राष्ट्रपति एर्दोआन ने शहबाज शरीफ की पोस्ट को साझा करते हुए लिखा:
“आज मुझे अपने प्रिय मित्र, पाकिस्तान के माननीय प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके सम्मानित प्रतिनिधिमंडल की इस्तांबुल में मेजबानी करके बहुत खुशी हुई। हमने अर्थव्यवस्था, व्यापार और सुरक्षा सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि तुर्की और पाकिस्तान के बीच “गहरे ऐतिहासिक, मानवीय और राजनीतिक संबंधों” को और मजबूत करने के प्रति उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।

भारत के लिए चिंता का कारण
इस प्रकार के बयान और कूटनीतिक मेल-जोल भारत के लिए चिंताजनक संकेत हैं।
- तुर्की ने पूर्व में कश्मीर मुद्दे पर भी भारत के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियां की हैं।
- एर्दोआन ने कई बार पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत की नीति पर सवाल उठाए हैं।
- ऐसे समय में जब भारतीय संसद का प्रतिनिधिमंडल विदेशों में पाकिस्तान के प्रोपेगंडा का खंडन कर रहा है, तुर्की का यह रुख भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बन सकता है।
बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
तुर्की राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, बैठक में निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग पर विशेष चर्चा हुई:
- ऊर्जा
- व्यापार एवं वाणिज्य
- परिवहन नेटवर्क
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग