कैम्ब्रिज, अमेरिका: अमेरिका की विश्वप्रसिद्ध हॉवर्ड यूनिवर्सिटी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के बीच हाल ही में गंभीर कानूनी टकराव सामने आया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय ने ट्रंप प्रशासन की ओर से बार-बार फंडिंग रोकने की धमकियों को अनुचित और असंवैधानिक बताते हुए मैसाचुसेट्स के फेडरल कोर्ट में कानूनी वाद दायर किया है। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी का दावा है कि प्रशासन की यह कार्रवाई शैक्षणिक संस्थानों पर राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने की मंशा का हिस्सा है।

फंडिंग रोकने की धमकी पर विरोध
हॉवर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया है कि ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय की 2.2 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग पर रोक लगाने की कई बार धमकी दी है। यह फंड विश्वविद्यालय के शोध, छात्रवृत्ति, समावेशी शैक्षणिक कार्यक्रमों और कैंपस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अत्यंत आवश्यक है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक प्रशासन की यह मंशा शैक्षणिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर सीधा हमला है।
यूनिवर्सिटी अध्यक्ष एलन एम गार्बर का कड़ा बयान
यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन एम गार्बर ने इस पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,
“हम पर यह दबाव डाला जा रहा है कि हम अपने शिक्षकों की नियुक्ति, पाठ्यक्रम चयन और छात्रों के दाखिले जैसे संवैधानिक अधिकारों में सरकारी हस्तक्षेप स्वीकार करें। यदि फंडिंग रोकी गई, तो इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम होंगे।”
गार्बर, जो स्वयं यहूदी मूल के हैं, ने यह भी कहा कि यदि कैंपस में यहूदी विरोधी भावना पाई गई है, तो उस पर चिंता जताई जानी चाहिए, लेकिन प्रशासन का रवैया संवाद के बजाय दबाव का है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि,
“सरकार को कानूनी रूप से विश्वविद्यालय से संवाद करना चाहिए, न कि हमारे पाठ्यक्रम और नियुक्तियों में हस्तक्षेप करना चाहिए।”

अदालती याचिका में लगाए गए आरोप
यूनिवर्सिटी ने अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि ट्रंप प्रशासन विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण पाने के लिए आर्थिक दबाव और प्रशासनिक हस्तक्षेप का हथकंडा अपना रहा है। याचिका में उल्लेख किया गया है कि अन्य विश्वविद्यालयों की फंडिंग पर भी अचानक रोक लगाई गई है, जिससे देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों में चिंता की लहर है।
ट्रंप प्रशासन की शर्तें और मांगें
ट्रंप प्रशासन की ओर से यह मांग की जा रही है कि:
- विश्वविद्यालय समावेशी कार्यक्रमों को सीमित करे,
- कैंपस प्रदर्शनों में मास्क के उपयोग पर रोक लगाए,
- नियुक्ति और दाखिले में ‘मेरिट आधारित’ सुधार लागू करे।
यदि इन शर्तों को नहीं माना गया, तो प्रशासन 2.2 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग रोकने की चेतावनी दे चुका है।