कानपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की सीसामऊ विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में बीजेपी इस बार पूरी तरह से हिंदुत्व के एजेंडे पर नजर आ रही है। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के दौरान किदवई नगर से बीजेपी विधायक महेश त्रिवेदी ने एक विवादित बयान दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में नई बहस शुरू हो गई।
बीजेपी की जीत की उम्मीदें और पिछला प्रदर्शन
सीसामऊ विधानसभा सीट पर पिछले 22 सालों से बीजेपी की हार का सिलसिला जारी है। हालांकि इस बार पार्टी ने अपने दो बार हार चुके प्रत्याशी सुरेश अवस्थी पर दांव लगाया है, ताकि सीट जीतने की कोशिश को नई दिशा दी जा सके। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर अपनी उम्मीदों को बरकरार रखने के लिए पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण सपा यहां लगातार जीत दर्ज करती रही है, लेकिन बीजेपी इस बार हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता दे रही है, जो पार्टी की नई रणनीति को स्पष्ट करता है।
महेश त्रिवेदी का विवादित बयान: ‘हर आतंकवादी मुसलमान’
सीएम योगी आदित्यनाथ के सीसामऊ सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान किदवई नगर के बीजेपी विधायक महेश त्रिवेदी ने मंच से एक बेहद तीव्र बयान दिया। महेश त्रिवेदी ने कहा, “मैं यह तो नहीं कहता कि हर मुसलमान आतंकवादी होता है, लेकिन इतना जरूर है कि हर आतंकवादी मुसलमान जरूर है।” इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी इस बार हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की रणनीति अपनाए हुए है।
सीएम योगी का बयान: ‘बंटेंगे तो कटेंगे’
महेश त्रिवेदी के बयान से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “बंटेंगे तो कटेंगे।” उनका यह बयान भी हिंदुत्व को लेकर पार्टी की रणनीति को स्पष्ट करता है। वे मानते हैं कि बीजेपी इस बार सभी वर्गों को एक साथ जोड़ने की कोशिश में है ताकि चुनाव में जीत हासिल की जा सके।
राजनीतिक समीकरण और सपा की चुनौती
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के इस नए हिंदुत्व एजेंडे के कारण सीसामऊ में सपा के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा। सपा को अपनी पारंपरिक मुस्लिम वोटबैंक के साथ-साथ दलित और पिछड़े वर्ग को भी साथ लाना होगा। वहीं, अति आत्मविश्वास से बचने की सलाह भी सपा को दी जा रही है, ताकि वे बीजेपी की रणनीति का मुकाबला कर सकें।
बीजेपी की इस नई रणनीति के सफलता का आकलन चुनाव परिणामों के बाद ही किया जा सकेगा, लेकिन यह कहा जा सकता है कि अगर यह रणनीति सफल होती है तो 2027 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी इसी फार्मूले पर चुनाव लड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।