नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर से देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए व्यापक जनआंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। पार्टी ने 25 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक पूरे देश में “संविधान बचाओ रैली” निकालने की घोषणा की है। पार्टी के अनुसार, यह रैली देश की जनता को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के प्रति जागरूक करने का प्रयास है।
पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि संविधान पर हो रहे हमलों और लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर पड़ते ढांचे के प्रति जनता को सतर्क करना अब आवश्यक हो गया है।

खरगे पहले ही कर चुके हैं चेतावनी
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिसंबर 2024 में संसद में बोलते हुए स्पष्ट किया था कि संविधान आज सबसे बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है।
खरगे ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की नीतियां लोकतंत्र के मूलभूत स्तंभों को कमजोर कर रही हैं। उन्होंने देश के नागरिकों से अपील की थी कि वे चौकन्ना रहें और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हों।
पहले भी निकाली गई थी ऐसी रैली: अंबेडकर जयंती पर हुई शुरुआत
कांग्रेस पार्टी ने इससे पहले 14 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर भी संविधान बचाओ रैली निकाली थी। यह आयोजन कई राज्यों में हुआ था, जिसमें स्थानीय नेताओं ने संविधान को बचाने की अपील करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की थी।

राज्यों में कांग्रेस की रणनीति
हरियाणा:
हरियाणा कांग्रेस ने भी रैलियों के साथ-साथ पदयात्राएं निकालने का फैसला किया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों ने इस अभियान को गांव-गांव तक ले जाने का संकल्प लिया है।
पंजाब:
अमृतसर में आयोजित रैली के दौरान कांग्रेस ने राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया और आरोप लगाया कि वह केंद्र की तर्ज़ पर ही संवैधानिक संस्थाओं की उपेक्षा कर रही है।
राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार:
इन राज्यों में भी रैलियों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में उत्साह है। पार्टी नेतृत्व की ओर से निर्देश दिया गया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में रैली या जनसभा आयोजित की जाए।
रैली का उद्देश्य और प्रभाव
पार्टी का दावा है कि यह रैली सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह एक जनजागरण अभियान है। इसके माध्यम से देश की जनता को बताया जाएगा कि कैसे संविधान की मूल आत्मा पर संकट मंडरा रहा है।
इस रैली के दौरान डॉ. अंबेडकर के विचार, संविधान की प्रस्तावना, और मौलिक अधिकारों की महत्ता पर आधारित साहित्य का भी वितरण किया जाएगा।