Friday, July 11, 2025
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मां मिड-डे मील बनाती रही, बेटी ने 94.80% लाकर रचा इतिहास, स्वामी सेही की प्रतिभा बनी सूरजगढ़ की शान, गांव में निकला विजय जुलूस

सूरजगढ़, 25 मई 2025: झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ ब्लॉक के स्वामी सेही गांव की छात्रा प्रतिभा ने जो कर दिखाया, वह हर उस परिवार के लिए प्रेरणा है जो सीमित साधनों के बावजूद सपने देखना नहीं छोड़ते। महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की इस होनहार छात्रा ने 12वीं कला वर्ग में 94.80% अंक प्राप्त कर न केवल सूरजगढ़ ब्लॉक में दूसरा स्थान पाया बल्कि सरकारी स्कूलों की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी।

प्रतिभा की छोटी बहन भारती ने भी इसी विद्यालय से पढ़ाई कर 89.20% अंक हासिल किए हैं। खास बात यह है कि दोनों बहनों की मां सरकारी स्कूल में मिड-डे मील बनाकर परिवार की गाड़ी खींच रही हैं। ऐसी स्थिति में इन बेटियों का यह प्रदर्शन सिर्फ एक परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि उम्मीदों को पंख देना है।

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प्रतिभा की इस ऐतिहासिक सफलता के बाद गांव में जश्न का माहौल बन गया। विद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थियों को साफा पहनाकर, माला पहनाकर मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। इसके बाद स्वामी सेही गांव से लेकर तोला सेही और बास कल्याणों तक एक विजयी जुलूस निकाला गया। रास्ते भर लोगों ने फूल बरसाए, ढोल-नगाड़ों की थाप पर बच्चों ने नाचा और पूरा गांव इस गौरव के पल का साक्षी बना।

विद्यालय के शिक्षक सुरेश कुमार ने बताया कि प्रतिभा ने न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की, बल्कि सरकारी स्कूलों की साख भी मजबूत की है। इस प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों में इतना उत्साह है कि नए सत्र में विद्यालय का नामांकन 100 पार करने की उम्मीद जताई जा रही है।

विद्यालय प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में सरपंच ईश्वर सिंह पूनिया ने कहा कि प्रतिभा और भारती जैसी छात्राओं की मेहनत ने यह साबित कर दिया कि सरकारी स्कूलों में भी गुणवत्ता शिक्षा संभव है। उन्होंने उपस्थित ग्रामीणों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाएं, ताकि यह परंपरा बनी रहे।

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इस सम्मान समारोह में उप सरपंच सुरेश पिलानिया, पूर्व अध्यापक किशोरीलाल, पूर्व पंचायत समिति सदस्य सुरताराम मेघवाल, समाजसेवी राजेश कुमार सहित कई गणमान्य जन मौजूद रहे। मंच संचालन शिक्षक गुलाब सिंह ने किया और माहौल को जोश से भर दिया।

स्वामी सेही गांव की यह कहानी न केवल संघर्ष की मिसाल है, बल्कि सरकारी स्कूलों की बदलती तस्वीर की एक झलक भी है। जहां एक मां रसोई में बच्चों के लिए खाना बनाती है, वहीं उसकी बेटियां किताबों में डूबी हुई एक नया इतिहास रच देती हैं। यह कहानी सुनकर हर कोई यही कहेगा — “मेहनत रंग लाई, और बेटियों ने फिर से साबित किया कि वो किसी से कम नहीं।”

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