Sunday, June 15, 2025
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दिल्ली-एनसीआर में अतिक्रमण के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू, फरीदाबाद के 5 हजार घरों पर चलेगा बुलडोजर

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में फरीदाबाद के कई इलाकों में बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया है। जिला प्रशासन और वन विभाग की संयुक्त टीम ने फरीदाबाद के अनंगपुर गांव, लक्कड़पुर, मेवला महाराजपुर और अनखीर इलाकों में 5 हजार से अधिक मकानों को अवैध घोषित कर उनके मालिकों को नोटिस थमा दिए हैं। मकान मालिकों को 15 दिन के भीतर निर्माण खुद हटाने को कहा गया है, अन्यथा बुलडोजर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

वन विभाग के मुताबिक, ये निर्माण पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (PLPA), 1900 की धारा 4 का उल्लंघन करते हैं, जिसके अंतर्गत इन क्षेत्रों को ‘संरक्षित’ घोषित किया गया है और यहां किसी भी गैर-वन गतिविधि जैसे मकान निर्माण पर पूर्णतः रोक है।

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कहां-कहां चलेगा बुलडोजर?

फरीदाबाद में जिन इलाकों में कार्रवाई शुरू की गई है, उनमें निम्न स्थान शामिल हैं:

  1. अनंगपुर गांव – यहां से कार्रवाई की शुरुआत की गई है।
  2. लक्कड़पुर – वर्तमान में बुलडोजर कार्रवाई जारी है।
  3. मेवला महाराजपुर – अगला टारगेट इलाका।
  4. अनखीर – अंतिम चरण में यहां होगी कार्रवाई।

फरीदाबाद के अलावा, गुड़गांव में भी ऐसे कई निर्माणों को चिह्नित कर नोटिस जारी किए गए हैं। वहां भी 15 दिन की डेडलाइन दी गई है, जिसके बाद प्रशासनिक टीम सीधे कार्रवाई करेगी।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

गुड़गांव के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO), जो वर्तमान में फरीदाबाद का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं, ने बताया कि—

“हमारा उद्देश्य केवल निर्माण गिराना नहीं है, बल्कि अरावली क्षेत्र की पारिस्थितिकी को पुनः बहाल करना है। हमने नोटिस देकर समय दिया है। यदि तय समयसीमा के भीतर अवैध निर्माण नहीं हटाए गए, तो प्रशासन और वन विभाग सख्ती से कार्रवाई करेंगे।”

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा—

“यह केवल अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई नहीं, बल्कि अरावली की रक्षा का आंदोलन है। हमने नागरिकों से सहयोग की अपील की है ताकि अनावश्यक विवाद से बचा जा सके।”

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कानूनी आधार और पर्यावरणीय दृष्टिकोण

PLPA कानून 1900 के अंतर्गत धारा 4 उन क्षेत्रों में किसी भी गैर-वन उपयोग पर रोक लगाती है, जहां प्राकृतिक वन, जैव विविधता या जल स्रोतों की रक्षा जरूरी मानी जाती है। ये क्षेत्र ‘पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील’ माने जाते हैं और यहां अतिक्रमण पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अरावली की पर्वतमालाएं दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक हैं और इस क्षेत्र में अंधाधुंध निर्माण जल स्रोतों, वन्य जीवन और पारिस्थितिक संतुलन को नष्ट कर रहा है।

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