Sunday, June 8, 2025
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अमेजन और फ्लिपकार्ट पर गैर-प्रमाणित उत्पादों की बिक्री का आरोप, BIS करेगी मुकदमा, 36 लाख का सामान जब्त

नई दिल्ली: भारत के दो प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन और फ्लिपकार्ट एक बड़े कानूनी संकट में घिरते नजर आ रहे हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने दोनों कंपनियों के खिलाफ BIS अधिनियम 2016 के तहत कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। BIS द्वारा इस वर्ष मार्च 2025 में की गई छापेमारी में इन कंपनियों के वेयरहाउसों से लगभग 36 लाख रुपये मूल्य का गैर-प्रमाणित सामान जब्त किया गया था। इन वस्तुओं पर अनिवार्य BIS प्रमाणन चिन्ह नहीं पाया गया, जो भारतीय उपभोक्ता सुरक्षा के मानकों का उल्लंघन है।

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क्या है पूरा मामला?

मार्च 2025 में BIS अधिकारियों की दो टीमों ने चेन्नई स्थित अमेजन और फ्लिपकार्ट के वेयरहाउसों पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। इस छापेमारी के दौरान इंसुलेटेड फ्लास्क, फूड कंटेनर, स्टील की बोतलें, सीलिंग फैन, खिलौने, बेबी डायपर, कैसरोल और अन्य उत्पाद पाए गए, जिन पर BIS का अनिवार्य प्रमाणन नहीं था।

  • अमेजन के वेयरहाउस से 3,000 से अधिक नॉन-सर्टिफाइड उत्पाद जब्त किए गए।
  • फ्लिपकार्ट के गोदाम से 286 पैक बेबी डायपर, 36 बॉक्स कैसरोल, 26 स्टेनलेस स्टील की बोतलें और 10 इंसुलेटेड बोतलें जब्त की गईं।

BIS की योजना: अदालत में मुकदमा, 10 गुना मुआवजे की मांग

BIS अधिनियम 2016 के तहत भारतीय मानक ब्यूरो को यह अधिकार प्राप्त है कि वह नॉन-सर्टिफाइड सामान को जब्त कर सकता है और दोषी पक्ष से जब्त सामान के मूल्य का 10 गुना मुआवजा मांग सकता है। सूत्रों के अनुसार, BIS इस मामले को प्रारंभ में एक मजिस्ट्रेट अदालत में ले जाकर कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत करेगा।

अगर अदालत में BIS का पक्ष मजबूत होता है, तो दोनों कंपनियों से करीब 3.6 करोड़ रुपये तक का मुआवजा वसूला जा सकता है।

BIS का कार्यक्षेत्र और उद्देश्य

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। इसका कार्य है भारत में वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक तय करना, उनका प्रमाणीकरण करना, और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना। BIS यह सुनिश्चित करता है कि देश में बेचे जा रहे उत्पाद सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरें।

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क्या हैं आरोप?

BIS ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि छापेमारी में जब्त की गई वस्तुओं की गुणवत्ता मानकों पर प्रश्नचिह्न लगा है, क्योंकि इन पर BIS का प्रमाणन चिन्ह नहीं था, जो कि कानूनी रूप से अनिवार्य है। इससे न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा को खतरा है, बल्कि यह भारत के मानक कानून का उल्लंघन भी है।

कंपनियों की प्रतिक्रिया?

अब तक अमेजन और फ्लिपकार्ट की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मुकदमा अदालत तक पहुंचता है और BIS के पक्ष में फैसला आता है, तो यह ई-कॉमर्स उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जिससे सभी कंपनियों को गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन करने का संदेश जाएगा।

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