ईरान-इज़राइल: पश्चिमी एशिया एक बार फिर वैश्विक संकट का केंद्र बन गया है। इजराइल और ईरान के बीच गहराते तनाव ने न केवल इस क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर भी दौड़ा दी है। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तीखे और चेतावनी भरे बयानों ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।
ट्रंप की सख्त चेतावनी: ‘ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे’
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर एक के बाद एक कई पोस्ट करते हुए ईरान के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा,
“ईरान को वो डील साइन कर लेनी चाहिए थी जो मैंने दी थी। इंसानी जिंदगियों का नुकसान हुआ है और आगे नहीं होने देंगे। सब लोग तुरंत तेहरान छोड़ दें।”

ट्रंप के इस बयान से न केवल अमेरिका, बल्कि ईरान और पश्चिम एशिया के अन्य देशों की सरकारें सतर्क हो गई हैं। उन्होंने जी7 शिखर सम्मेलन से समय से पहले विदा लेकर इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
ईरान-अमेरिका परमाणु डील: GCPOA क्या है?
ट्रंप जिन “डील” की बात कर रहे हैं, वह असल में “ज्वॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA)” है, जिसे 2015 में ईरान, अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर तैयार किया था। इसका मकसद था कि ईरान शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम चलाए, लेकिन हथियार निर्माण से दूर रहे।
साल 2018 में ट्रंप प्रशासन ने इस डील से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था। इसके बाद ईरान पर कई आर्थिक और सामरिक प्रतिबंध लगाए गए। अमेरिका और इजराइल को संदेह है कि ईरान अब इस समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है।
क्या ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है?
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2025 तक ईरान के पास 60% तक संवर्धित लगभग 275 किलोग्राम यूरेनियम है। जबकि परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 90% शुद्धता तक ले जाना होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्तर पर ईरान कुछ ही महीनों में परमाणु बम बनाने की तकनीकी क्षमता हासिल कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, यदि संवर्धन जारी रहा तो ईरान 6 परमाणु हथियार तैयार करने में सक्षम हो सकता है।

ईरान की दलीलें और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ नागरिक उपयोग (जैसे ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा) के लिए है। हालांकि अमेरिका, इजराइल और कुछ यूरोपीय देश इस दावे पर भरोसा नहीं करते।
इजराइल ने पहले भी कई बार संकेत दिए हैं कि यदि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया तो वह एकतरफा सैन्य कार्रवाई कर सकता है।