Sunday, June 8, 2025
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जापानी कंपनी आइस्पेस का दूसरा मून लैंडिंग मिशन भी असफल, संपर्क टूटने से लैंडिंग की पुष्टि नहीं

जापान: जापान की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी iSpace (आइस्पेस) का चंद्रमा पर उतरने का दूसरा प्रयास भी विफल हो गया है। कंपनी के अनुसार, बिना चालक वाला लैंडर “रेजिलिएंस” (Resilience) शुक्रवार को चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन लैंडिंग के निर्णायक क्षणों में उससे संपर्क टूट गया। यह मिशन iSpace के लिए बेहद महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक माना जा रहा था, क्योंकि यदि यह सफल होता तो जापान, अमेरिका के बाद वह पहला देश बन जाता, जिसकी कोई निजी कंपनी चांद पर सफल लैंडिंग करती।

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दो साल में दूसरी असफलता

iSpace का यह दूसरा मून मिशन था। इससे पहले 2023 में भी कंपनी का हाकुतो-आर मिशन 1 विफल रहा था, जब लैंडर चांद की सतह से टकराकर नष्ट हो गया था। इस बार उम्मीद की जा रही थी कि रेजिलिएंस मिशन सफलता की नई इबारत लिखेगा, लेकिन लैंडिंग के वक्त कंपनी को कोई सिग्नल नहीं मिला।

लाइव डेटा के अनुसार, जापानी समयानुसार शुक्रवार सुबह 4:17 बजे (गुरुवार रात 7:17 GMT) लैंडिंग होनी थी, लेकिन अंतिम क्षणों में लैंडर की ऊंचाई अचानक शून्य पर आ गई, जिससे संकेत मिलते हैं कि लैंडिंग असफल रही।

मिशन रेजिलिएंस का उद्देश्य क्या था?

iSpace ने इस मिशन के ज़रिए चांद की सतह पर वैज्ञानिक उपकरण पहुंचाने और प्रयोग करने का लक्ष्य रखा था। लैंडर में कई छोटे यंत्र लगे थे जो चंद्र सतह के मिट्टी, तापमान, और संरचना का विश्लेषण करते। यह भविष्य के लिए चंद्र आधार बनाने की दिशा में एक अहम प्रयोग था।

iSpace ने क्या कहा?

iSpace के CEO टेकेशी हाकामादा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा:

“हमें इस मिशन से अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन हम इस अनुभव से सीखते हुए अगली उड़ान की तैयारी करेंगे।”

इंजीनियरिंग टीम अब डेटा का विश्लेषण कर यह पता लगाने में जुटी है कि लैंडिंग में क्या तकनीकी गड़बड़ी हुई।

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चांद पर लैंडिंग की वैश्विक होड़

अब तक केवल चार देश — अमेरिका, रूस, चीन और भारत — चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहे हैं।
भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के ज़रिए 2023 में दक्षिणी ध्रुव के पास ऐतिहासिक लैंडिंग की थी। वहीं अमेरिका और NASA अब चंद्रमा पर स्थायी मानव बेस बसाने की तैयारी में हैं।

iSpace जैसी कंपनियों के प्रयासों से यह साबित होता है कि अब निजी क्षेत्र भी चंद्र अभियान की दौड़ में सक्रिय हो गया है। लेकिन यह मिशन एक बार फिर से यह भी दर्शाता है कि चंद्रमा पर उतरना अभी भी एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है।

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