मथुरा, उत्तर प्रदेश: वृंदावन परिक्रमा मार्ग पर बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब संत प्रेमानंद महाराज एक बड़े हादसे से बाल-बाल बचे। यह घटना सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई जब संत प्रेमानंद महाराज अपनी नियमित पदयात्रा पर निकले थे। जैसे ही वे परिक्रमा मार्ग से गुजर रहे थे, उनके स्वागत के लिए लगाए गए लोहे के भारी ट्रस का एक हिस्सा अचानक गिरने लगा। लेकिन समय रहते आसपास मौजूद सतर्क लोगों और सुरक्षा दल ने स्थिति संभाल ली और उन्हें सुरक्षित वहां से निकाल लिया। इस प्रकार एक बड़ा हादसा टल गया।

हादसे की पूरी घटना: कैसे टला बड़ा संकट?
बुधवार की सुबह संत प्रेमानंद महाराज हर रोज़ की तरह अपने आश्रम से निवास की ओर पदयात्रा कर रहे थे। भारी संख्या में भक्त उनके स्वागत और दर्शन के लिए मार्ग पर पहले से खड़े थे। जैसे ही महाराज आश्रम के बाहर निकले और कुछ ही दूरी पर पहुंचे, वैसे ही सजावट के लिए लगाए गए लोहे के भारी ट्रस (जिसे पाइपों से जोड़ा गया था) का एक हिस्सा अचानक हिलने लगा और नीचे गिरने लगा।
महाराज के समीप गिरते ट्रस को देख लोगों में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि सुरक्षा में तैनात सेवकों ने तत्परता दिखाते हुए ट्रस को पकड़ लिया और संत प्रेमानंद महाराज को वहां से सुरक्षित निकाल लिया।
वीडियो हुआ वायरल, भक्तों में भावुकता
इस पूरी घटना का वीडियो पास खड़े कुछ लोगों द्वारा रिकॉर्ड किया गया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस प्रकार ट्रस गिरने से पहले ही महाराज को सुरक्षा में मौजूद लोगों ने संभाल लिया और बड़ी दुर्घटना होते-होते बच गई।
मथुरा में बड़ा हादसा टला बाल-बाल बचे संत प्रेमानंद महाराज पदयात्रा के दौरान रास्ते में लाइटिंग के लिए लगा लोहे का ट्रेस अचानक लटककर हवा में झूल गया जब वह उसके नीचे से गुजर रहे थे। हालांकि कोई हादसा नहीं हुआ।#mathura #premanandmaharaj pic.twitter.com/qh8CkKAbPL
— Sumit Kumar (@skphotography68) May 8, 2025
श्रद्धालुओं में हड़कंप, लेकिन संत ने दी शांति की सीख
इस अचानक हुई घटना से श्रद्धालुओं में कुछ देर के लिए भय का माहौल बन गया। लोग संत की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए और एकत्रित भीड़ में भगदड़ जैसी स्थिति बनने लगी।

हालांकि संत प्रेमानंद महाराज ने इस परिस्थिति में अत्यंत धैर्य और संयम दिखाया। उन्होंने अपने भक्तों को शांत रहने का संदेश दिया और कहा कि यह “राधा रानी की कृपा” है कि कोई अनहोनी नहीं हुई। संत ने सभी को आश्वस्त किया और फिर से अपनी पदयात्रा को आगे बढ़ाया।