अमेरिका: यमन के पश्चिमी तट पर स्थित महत्वपूर्ण तेल बंदरगाह रास इस्सा पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। हूथी विद्रोहियों ने दावा किया है कि इन हमलों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
हूथी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अनीस अलसबाही ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि मृतकों में 13 बंदरगाह कर्मचारी शामिल हैं। ये सभी कर्मचारी उस समय कार्यरत थे जब अमेरिकी सेनाओं ने यह हमला किया।

अमेरिका का दावा — आतंकवादी नेटवर्क की ईंधन आपूर्ति रोकने की कार्रवाई
अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह कार्रवाई ईरान समर्थित हूथी आतंकवादी समूह की ईंधन और राजस्व आपूर्ति को बाधित करने के उद्देश्य से की गई। बयान में कहा गया है कि हूथी विद्रोही रास इस्सा बंदरगाह का उपयोग ईंधन आपूर्ति और भ्रष्टाचार के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर रहे थे।
CENTCOM के अनुसार, यह हमला हूथियों द्वारा लाल सागर से गुजरने वाले वाणिज्यिक जहाजों को बार-बार निशाना बनाने की घटनाओं के जवाब में किया गया है।
रास इस्सा की रणनीतिक अहमियत
रास इस्सा बंदरगाह न केवल यमन के लिए एक प्रमुख तेल पाइपलाइन केंद्र है, बल्कि यह देश की मानवीय सहायता और आयात की जीवनरेखा भी है। इस क्षेत्र से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और वाणिज्यिक आपूर्ति यमन में प्रवेश करती है, जो वर्षों से चले आ रहे गृहयुद्ध के कारण बुरी तरह प्रभावित है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बंदरगाह पर हमला यमन की आर्थिक और मानवीय स्थिति को और बिगाड़ सकता है।

हूथियों की चेतावनी और अमेरिकी प्रतिक्रिया
हूथी प्रवक्ता ने हमले को “अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन” बताते हुए अमेरिका के खिलाफ और आक्रामक रुख अपनाने की चेतावनी दी है।
वहीं, अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने स्पष्ट किया है कि जब तक हूथी विद्रोही लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय नौवहन को खतरे में डालना बंद नहीं करते, तब तक यह बमबारी अभियान जारी रहेगा।