जोधपुर, राजस्थान: जोधपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू को सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी है। जमानत के दौरान उन्हें कुछ कड़ी शर्तों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जमानत के दौरान आसाराम सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे और अपने अनुयायियों से किसी भी प्रकार की मुलाकात नहीं करेंगे।
मेडिकल कारणों के चलते मिली राहत
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, आसाराम बापू को चिकित्सा आधार पर दी गई इस जमानत के पीछे उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को प्रमुख कारण माना गया है। इससे पहले भी आसाराम को कई बार इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से जोधपुर जेल में चल रहे उनके मामले पर एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है।

2013 के बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा
आसाराम बापू को 2013 में यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया गया था। जोधपुर स्थित उनके आश्रम में पढ़ने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोप साबित होने के बाद उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 377 (अप्राकृतिक कृत्य) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उनकी गिरफ्तारी और सजा ने उनके अनुयायियों और समर्थकों को गहरा झटका दिया था।
2024 में तीन बार पैरोल मिलने का रिकॉर्ड
इस वर्ष आसाराम को तीन बार पैरोल दी गई, जिसमें अगस्त, नवंबर और दिसंबर में चिकित्सा आधार पर अनुमति मिली थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर को उन्हें पैरोल दी, जिसमें कहा गया था कि उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते उन्हें कुछ समय के लिए जेल से बाहर रहने दिया जाएगा। इससे पहले नवंबर में उन्हें 30 दिन की और अगस्त में 7 दिन की पैरोल दी गई थी। इन सभी मामलों में उन्हें सार्वजनिक रूप से किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी।
कैसे हुई आसाराम को सजा?
यह मामला 2013 में एक नाबालिग लड़की के आरोपों से जुड़ा है, जिसने आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस केस में 68 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे, जबकि सात आरोपी थे। आरोपियों में से एक सरकारी गवाह बन गया था। सभी सबूतों और गवाहियों के आधार पर जोधपुर की अदालत ने आसाराम को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।