झुंझुनूं: जिले के चिड़ावा कस्बे में सामाजिक कार्यकर्ता मंगेश भगत ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अभिनव पहल शुरू की है, जिसे ‘स्थानांतरण मॉडल’ नाम दिया गया है। यह मॉडल विशेष रूप से उन पौधों की रक्षा पर केंद्रित है, जो मानसून के दौरान तो लगाए जाते हैं, लेकिन देखरेख की कमी, जल संकट या पशुओं के कारण कुछ ही समय में नष्ट हो जाते हैं। मंगेश भगत की यह पद्धति न केवल पौधों को बचाने में कारगर साबित हो रही है, बल्कि उन्हें स्थायी रूप से विकसित करने में भी सहायक बन रही है।
मंगेश भगत ने बताया कि उन्होंने यह विचार अपनी मां सजना देवी से प्रेरित होकर अपनाया, जो स्वयं प्रकृति के प्रति गहरा लगाव रखती हैं। उनके अनुसार, वृक्षारोपण जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक उसकी निरंतर देखभाल और संरक्षण है। इसी सोच के तहत उन्होंने अपने आसपास के खाली प्लॉटों में पौधे लगाकर तीन से चार वर्षों तक उनकी नियमित देखभाल की। जब ये पौधे मजबूत और परिपक्व हो गए, तब उन्हें दूसरी उपयुक्त जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया। यह प्रक्रिया इतनी सावधानीपूर्वक होती है कि पौधों की जड़ों को नुकसान न पहुंचे। इन स्थानांतरित पेड़ों को कम पानी की जरूरत होती है और वे पशुओं से भी सुरक्षित रहते हैं।
इस अभियान में मंगेश भगत के साथ कई युवा साथी भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इनमें गौतम चेजारा, कन्हैया, विकास बुलानिया, विजेंद्र कुमावत, राजेंद्र प्रसाद, अंकित बाड़ेटिया, रजनीत बाड़ेटिया, जतिन बाड़ेटिया, योगेन्द्र नायक, सुमित चेजारा और बिजेश बुलानिया शामिल हैं। इन सभी ने मिलकर चिड़ावा क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम को नई दिशा दी है।
इस अनूठे प्रयास से यह संदेश फैल रहा है कि वृक्ष लगाना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उनके पूर्ण रूप से विकसित होने तक उनकी देखरेख भी उतनी ही जरूरी है। मंगेश भगत और उनके साथियों की यह पहल समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही एक व्यवहारिक समाधान भी प्रस्तुत करती है, जिसे अन्य स्थानों पर भी अपनाया जा सकता है।