श्रीलंका: भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना ने एक बार फिर अपनी गिरफ्त में ले लिया है। रामेश्वरम के मत्स्य पालन सहायक निदेशक ने बताया कि कल सुबह रामेश्वरम से 430 मशीनी नावें मछली पकड़ने के लिए समुद्र में उतरी थीं। इन नावों में से एक को श्रीलंकाई नौसेना ने आठ चालक दल के सदस्यों सहित जब्त कर लिया। इस घटना से तमिलनाडु के मछुआरों में भारी चिंता और असंतोष व्याप्त है।
लगातार हो रही गिरफ्तारियां: 2024 में 341 भारतीय गिरफ्तार
2024 की शुरुआत से ही श्रीलंका की नौसेना ने भारतीय मछुआरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए अब तक 341 भारतीयों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, 45 से अधिक ट्रॉलर्स को भी जब्त कर लिया गया है। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा यह गिरफ्तारी मछुआरों के समुद्री सीमा पार करने के आरोप में की जा रही है। यह घटनाएं न केवल भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री संबंधों पर असर डाल रही हैं, बल्कि तमिलनाडु के मछुआरों के जीवनयापन को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं।
पिछली घटनाओं की पुनरावृत्ति
24 अगस्त को भी श्रीलंकाई नौसेना ने भारत के 11 मछुआरों को गिरफ्तार किया था। यह घटना भी समुद्री सीमा पार करने के आरोप में हुई थी। इन मछुआरों को श्रीलंका के उत्तरी प्रांत के जाफना में पॉइंट ऑफ पेड्रो के करीब मछली पकड़ते समय गिरफ्तार किया गया था। इन मछुआरों के ट्रॉलर को जब्त कर उन्हें कांकेसंथुराई फिशिंग हार्बर ले जाया गया, जहां से आगे की कार्रवाई की जा रही है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की प्रतिक्रिया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को एक पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की है। अपने पत्र में उन्होंने कहा, “मैं तमिलनाडु के मछुआरों को बार-बार गिरफ्तार किए जाने की घटनाओं पर गंभीर चिंता के साथ आपको यह पत्र लिख रहा हूं। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा लगातार हो रही इस कठोर कार्रवाई से हमारे मछुआरों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा का विवाद
भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा का विवाद दशकों पुराना है। मछुआरों की गिरफ्तारियां और ट्रॉलर्स की जब्ती इस विवाद का एक हिस्सा हैं। भारतीय मछुआरे पारंपरिक मछली पकड़ने के इलाकों में जाते हैं, जो श्रीलंका के जल क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, और इस वजह से ये गिरफ्तारियां होती हैं। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे को लेकर कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।