चिड़ावा: भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए राष्ट्रीय किसान प्रगतिशील एसोसिएशन (RKPA) ने चिड़ावा में एक नई पहल की शुरुआत की। अमृतकाल के पांच प्रणों को केंद्र में रखते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिनोद आनन्द ने किसानों, सहकारी संगठनों और नवाचार से जुड़े लोगों के साथ गहन संवाद किया।
यह कार्यक्रम सिर्फ संगठनात्मक गतिविधि नहीं था, बल्कि गांव-किसान आधारित भारत निर्माण की वैचारिक यात्रा का प्रतीक रहा। बिनोद आनन्द, जो प्रधानमंत्री द्वारा गठित एमएसपी उच्चाधिकार समिति के सदस्य हैं, ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश पारंपरिक न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति से आगे सोच विकसित करे।
उन्होंने कहा कि किसानों को सरकारी खरीद के दायरे से बाहर लाकर बाजार, प्रसंस्करण और सहकारी शक्ति के माध्यम से उनकी आमदनी को बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।
10 मई को आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता बिनोद आनन्द ने की, जो वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष और ग्रामीण भारत के एनजीओ परिसंघ (CNRI) के महासचिव भी हैं। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:
- सहकारिता आधारित कृषि मूल्य श्रृंखला विकसित की जाएगी, जो PACS से लेकर APEX तक किसानों को संग्रहण, प्रोसेसिंग और विपणन में लाभ देगी।
- किसानों को बाजार से मूल्य प्राप्ति, ब्रांडिंग, अनुबंध खेती और निर्यात के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
- सहकारी कमोडिटी एक्सचेंज की स्थापना पर नीति चर्चा की जाएगी, जिससे किसान अपने उत्पाद का मूल्य स्वयं तय कर सकें।
- राजस्थान भर में ग्राम संवाद, किसान चौपाल और सहकारी शिविरों के माध्यम से “MSP से आगे की सोच” अभियान चलाया जाएगा।
- e-NAM, AgriStack और डिजिटल मार्केटिंग जैसे टूल्स को सहकारी ढांचे में समन्वित किया जाएगा।
राज्य में इस पहल का नेतृत्व RKPA के राष्ट्रीय महासचिव पवन पायल करेंगे। बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गणेश चैतिवाल और अमित लाम्बा ने भी विचार व्यक्त किए।
बैठक के बाद RKPA का प्रतिनिधिमंडल लाखू गांव पहुंचा और शेखावाटी बागवानी कृषक समिति के अध्यक्ष हरि सिंह यादव के पिता के निधन पर संवेदना प्रकट की। इस दौरान सहकारिता में मानवीय संवेदनशीलता की झलक भी देखने को मिली।
बिनोद आनन्द ने अपने संबोधन में कहा कि जब भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, तब किसानों को सिर्फ समर्थन मूल्य पर निर्भर रहने के बजाय मूल्य संप्रभुता की ओर बढ़ाना होगा। उन्होंने चिड़ावा को किसान आधारित नवाचारों की नई प्रयोगशाला बताया।