अहमदाबाद: देश को हिला देने वाले अहमदाबाद विमान हादसे के बाद मृतकों के परिजनों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। टाटा ग्रुप ने इस भीषण दुर्घटना में जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। यह मुआवजा न केवल विमान में सवार यात्रियों को मिलेगा, बल्कि हादसे के वक्त जमीन पर मौजूद और हताहत हुए लोगों को भी प्रदान किया जाएगा।
हादसे में अब तक 274 लोगों की मौत की पुष्टि
शनिवार तक मिली जानकारी के अनुसार, अहमदाबाद विमान हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 274 हो गई है। मृतकों में विमान में सवार यात्री, विमान क्रू, पास के इलाके में मौजूद स्थानीय नागरिक, और एक स्कूल के 20 छात्र भी शामिल हैं जो हादसे के समय नजदीक खेल रहे थे।

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने सोशल मीडिया के माध्यम से हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि यह दुखद घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली है। उन्होंने कहा, “टाटा ग्रुप इस कठिन समय में प्रभावित परिवारों के साथ खड़ा है और हर मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।”
हालांकि शुरुआती बयान में स्पष्ट नहीं था कि यह सहायता केवल विमान यात्रियों तक सीमित है या जमीन पर हताहत हुए लोग भी इसमें शामिल हैं। इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए टाटा समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मुआवजा सभी हताहतों को दिया जाएगा, चाहे वे विमान में सवार रहे हों या जमीन पर मौजूद।
हादसे में जमीन पर मौजूद 33 लोग भी अपनी जान गंवा बैठे, जिनमें 20 स्कूली छात्र थे। टाटा समूह ने साफ किया है कि इन सभी मृतकों के परिजनों को भी मुआवजा मिलेगा। इस घोषणा से हादसे में प्रभावित हुए कई परिवारों को आर्थिक राहत की उम्मीद बंधी है।

टाटा समूह से मिलने वाले मुआवजे के अलावा विमान में सवार यात्रियों को उनकी बीमा पॉलिसी के तहत 1.5 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त मुआवजा विमान बीमा कंपनियों से भी मिलने की संभावना है। इस प्रकार एक यात्री के परिजन को कुल 2.5 करोड़ रुपये तक की आर्थिक मदद मिल सकती है।
जब टाटा अधिकारी से पूछा गया कि क्या कंपनी मृतकों के परिवार के सदस्यों को नौकरी जैसी कोई अन्य सहायता भी देगी, तो उन्होंने कहा, “इस संबंध में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। हम स्थिति का गहराई से आंकलन कर रहे हैं और प्राथमिकता पीड़ितों की तत्काल सहायता है।”
इस भयावह दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे और गृह मंत्रालय इस पूरी जांच प्रक्रिया की निगरानी करेगा। तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। जांच का मकसद तकनीकी खामी, पायलट की गलती या आतंकी साजिश जैसे सभी पहलुओं को खंगालना है।