नई दिल्ली: पहलागाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. भारत ने 8 मई को आतंकवादियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में 9 आतंकियों ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य टकराहट बढ़ गई. जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया. इसके बाद पाकिस्तान 10 मई को भारत के सामने सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाने लगा. सीजफायर की घोषणा होने के बाद अब भारत पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तान से जुड़े होने के ठोस सबूत सामने आने के बाद अब भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर कड़ा रुख अपनाने जा रहा है.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) भेज रहा है. जहां 1267 प्रतिबंध समिति (Sanctions Committee) की अगली बैठक में पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता के सबूत पेश किए जाएंगे. सूत्रों के अनुसार भारत के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि पहलागाम हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी. इसमें लश्कर-ए-तैयबा (LET) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का सीधा हाथ है. आतंकी संगठन TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. TRF लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा नया संगठन है. इस हमले के बाद भारतीय सेना ने LOC पर जवाबी कार्रवाई को तेज किया जिससे पाकिस्तान की नींद उड़ गई.
UNSC की 1267 समिति क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति की स्थापना साल 1999 में प्रस्ताव 1267 के तहत की गई थी. इसका मकसद शुरुआत में तालिबान, ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा से जुड़े लोगों और संगठनों पर कार्रवाई करना था. लेकिन वक्त के साथ इसका दायरा बढ़ा और अब यह समिति इस्लामिक स्टेट (ISIS) और दूसरे आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों और संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगाने का काम करती है.

भारत क्यों उठाता है पाकिस्तान के खिलाफ आवाज?
भारत लगातार इस समिति के सामने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों की गतिविधियों का मुद्दा उठाता रहा है. भारत चाहता है कि पाकिस्तान की जमीन से भारत पर हमले करने वाले आतंकियों को वैश्विक स्तर पर आतंकवादी घोषित किया जाए. हालांकि कुछ मामलों में चीन जैसे स्थायी सदस्य देश इन प्रस्तावों को रोकते रहे हैं. इसके कारण कई बार भारत के प्रयासों को झटका भी लगा है.