नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को एक बड़ा सैन्य झटका लगा है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में तैनात चीनी निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 को हाल ही में हुए ड्रोन हमलों में गंभीर क्षति पहुंची है। यह वही सिस्टम है जिसे पाकिस्तान ने भारत के ब्रह्मोस, राफेल और Su-30MKI जैसे आधुनिक हथियारों का मुकाबला करने के उद्देश्य से खरीदा था।

ड्रोन हमलों में HQ-9 की विफलता
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के संवेदनशील सैन्य ठिकानों—इस्लामाबाद, कराची और ग्वादर—पर तैनात HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम ड्रोन हमलों को न रोक पाने के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है।
चीन ने इस सिस्टम को रूस के S-300 और अमेरिका के Patriot सिस्टम की तकनीक चुराकर विकसित किया था। HQ-9 की मारक क्षमता 120 से 250 किलोमीटर तक बताई जाती है। इसमें AESA रडार, मल्टी-ट्रैकिंग और मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट क्षमताएं शामिल हैं।
लेकिन अब इन सभी दावों पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है क्योंकि यह हाईटेक सिस्टम साधारण ड्रोन हमलों को रोकने में नाकाम रहा।
चीन और पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी पर सवाल
पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं का बड़ा हिस्सा चीन पर निर्भर है। जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के पास मौजूद हथियारों में से 80 प्रतिशत से अधिक चीनी मूल के हैं। वर्ष 2021 के बाद पाकिस्तान ने अपनी वायु सुरक्षा को मजबूत करने के लिए HQ-9B सिस्टम को शामिल किया था।
लेकिन चीनी हथियारों की गुणवत्ता को लेकर पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञ संदेह जता चुके हैं। इसके बावजूद चीन के राजनीतिक और रणनीतिक दबाव में पाकिस्तान ने यह प्रणाली खरीदी थी।

भारत के लिए सामरिक बढ़त का संकेत
यह घटना भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के पास राफेल फाइटर जेट्स, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें, और Su-30MKI जैसे शक्तिशाली हथियार हैं, जिनके जवाब में पाकिस्तान ने HQ-9B जैसे सिस्टम खरीदे थे।
अब जब यही डिफेंस सिस्टम ड्रोन हमलों में विफल हो चुका है, पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। युद्ध की स्थिति में यह कमजोर कड़ी पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों को बड़ा झटका दे सकती है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भविष्य की आशंकाएं
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि HQ-9 की यह विफलता चीन के हथियार निर्यात बाजार को भी प्रभावित कर सकती है, खासकर उन देशों में जो पहले से चीन के हथियारों पर निर्भर हैं।