राजस्थान: चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के हमीरवास थाना क्षेत्र के भैंसली गांव में लगातार डेढ़ महीने तक चला रहस्यमयी मौतों और अचानक लग रही आग का ताण्डव फिलहाल 4 दिन से थाम गया है।
गांव के भूप सिंह पूनिया के घर पर उनकी मां की मौत के बाद यह सिलसिला शुरू हुआ था और फिर अगले 28 दिन में 14-14 दिन के अंतराल से उनके दोनों बेटों की भी मौत हो गई। यही नहीं, घर में यहां-वहां रखे पहनने-ओढ़ने के कपड़ों, किचन के मसालों और अन्य सामान में अचानक आग लगने का सिलसिला इस दौरान अनवरत चलता रहा।
इस घटनाक्रम के बाद हालात ये हो गए कि पूरा भैंसली गांव ही दहशत के साए में आ गया। ग्रामीण समझ ही नहीं पा रहे कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। कोई इसे भूत-प्रेतों का कारनामा बता रहा था तो कोई आसमानी ताकतों का कहर। लोगों में होड़ लगी थी अपने नजरिए से इन घटनाओं को पालौकिक साबित करने की। हालांकि पीड़ित परिवार ने इस सन्दर्भ में कोई रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं करवाई थी। लेकिन जन प्रतिनिधियों के सक्रिय होने पर प्रशासन ने अपने स्तर पर कार्यवाही करते हुए मौके पर फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस को नियुक्त कर दिया था।
भूपसिंह पूनिया के घर पर लगातार लगने वाली आग और एक के बाद एक हुई 3 मौतों के बाद भैंसली गांव अचानक सुर्खियों में आ गया। जहां एक तरफ मीडिया इस खबर को ब्रेक करने को उतावला था तो वहीं कई ऐसे भी थे जो इस घटनाक्रम की सनसनी के साथ लोगों के अंध विश्वास को बढ़ा रहे थे। विज्ञान या तंत्र साधना, ये ऐसा सवाल है, जो पिछले डेढ़ माह से इस इलाके के लोगों के जेहन में कौंध रहा है।
आपको बता दें कि भूपसिंह पूनिया के परिवार में हुई मौतों के मामले में एक बात कॉमन थी। प्रत्येक मौत से पहले मृतक को उल्टी हुई थी। हालांकि तीनों मृतकों में से किसी की भी कोई मेडिकल रिपोर्ट सामने नहीं आई। लेकिन यह बात तीनों केस में कॉमन थी ।
भूपसिंह की मां और बड़े बेटे का मौत के बाद अन्तिम संस्कार किया गया था। जबकि छोटे बेटे को पूनिया परिवार के खेत में ही दफनाया गया था।
चूरू पुलिस के सामने इस केस को क्रैक करना, बड़ी चुनौती है। पुलिस ने जब मामले के खुलासे की दिशा में आगे बढ़ते हुए पोस्टमार्टम के उद्देश्य से पूनिया परिवार के खेत से मृत बच्चे के शव को निकालने की कोशिश की, तब ग्रामीणों के साथ पुलिस को संघर्ष भी करना पड़ा था। इस मामले में बस में मुकदमा दर्ज कर 2 गिरफ्तारियां भी की गई थी। बाद में ज्यादा फोर्स बुला कर पुलिस ने दफनाए गए बच्चे का शव निकलवा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट हालांकि अभी तक नहीं आई है, लेकिन 4 दिन से भैंसली के भूत शांत हैं। मानो उन्हें भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद होने वाले खुलासे और पुलिस कार्यवाही का पूर्वानुमान हो चुका हो।
बहरहाल गांव में तनावपूर्ण ख़ामोशी छाई है, जहां लोगों के हुजूम उमड़ रहे थे, वहीं अब कोई बात करने और कुछ कहने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
समाचार झुंझुनू 24 की ओर से हम आपको बताना चाहेंगे कि परिवार के बीच पहनने-ओढ़ने के कपड़ों में आग लगने की घटनाओं के समाचार देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आते ही रहते हैं। अधिकतर ग्रामीण परिवेश में ऐसे परिवार इन घटनाओं के साक्षी बनते हैं, जहां शैक्षणिक स्तर कम होता है। झाड़-फूंक, टोना-टोटका और तंत्र-मंत्र की आड़ में खास मकसद से किसी परिवार को टारगेट किया जाता है। आग लगाने के लिए ज्यादातर फास्फोरस और सोडियम बाई कार्बोनेट जैसे केमिकल पाउडर या अन्य रसायनों का इस्तेमाल होता है। हरियाणा में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो समाज में फैले इस तरह के अंधविश्वासों को दूर करने के लिए बाकायदा लोगों के बीच जा कर उन्हें ऐसे ही आग लगा कर और अन्य चमत्कार करके दिखाते हैं। राजस्थान में ऐसी संस्थाएं फिलहाल ग्राउंड लेवल पर काम नहीं कर रही है।
यहां एक और बात भी उल्लेखनीय है कि देश भर में जहां भी ऐसी घटनाओं के खुलासे हुए हैं, वहां बाद में इनके पीछे परिवार के सदस्य या कोई नजदीकी व्यक्ति ही उसका सूत्रधार निकला है। ऐसे में यह जानना और भी दिलचस्प होगा कि पुलिस कार्यवाही के बाद भैंसली के भूतों की करगुजारी दरअसल किसके दिमाग की उपज थी और उसका उद्देश्य क्या रहा होगा। तीन मौतों का गुनहगार जो भी हो, किसी शैतान से कम तो वो भी नहीं हो सकता। जरूरी है कि पुलिस शीघ्र इस घटनाक्रम का खुलासा करते हुए, दोषियों को गिरफ्तार करे।