बांग्लादेश: बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। देश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी ‘अवामी लीग’ को आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अंतरिम सरकार द्वारा संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून के तहत यह फैसला लिया गया। इसके तहत अवामी लीग और उसके संबद्ध संगठनों को आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त मानते हुए गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना जारी की है।
गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम ने सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि यह प्रतिबंध तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) इन संगठनों के खिलाफ लंबित मामलों का निपटारा नहीं कर लेता।

चुनाव आयोग का ऐतिहासिक फैसला
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के कुछ घंटों के भीतर ही चुनाव आयोग (ईसी) ने एक और बड़ा निर्णय लिया। आयोग ने अवामी लीग का पंजीकरण रद्द करते हुए कहा कि अब यह पार्टी बांग्लादेश में कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेगी।
चुनाव आयोग के सचिव अख्तर अहमद ने स्पष्ट किया कि देश की वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने मीडिया से कहा कि “अब हमें नए बांग्लादेश की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा।”
आतंकवाद विरोधी कानून में बड़ा संशोधन
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ में है आतंकवाद विरोधी अधिनियम-2009 में हाल ही में किया गया संशोधन, जिसे रविवार रात राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अध्यादेश के जरिए मंजूरी दी। संशोधन के तहत सरकार को अब किसी भी संगठन, इकाई या व्यक्ति को आतंकवादी-संबद्ध घोषित करने का अधिकार मिल गया है।
इस नए कानून के अनुसार, ऐसे संगठनों के समर्थन में किसी भी प्रकार का बयान, सोशल मीडिया पोस्ट या सार्वजनिक सभा करना कानूनन अपराध होगा।

पार्टी और नेताओं पर गंभीर आरोप
1949 में स्थापित अवामी लीग बांग्लादेश की आज़ादी के संघर्ष से जुड़ी ऐतिहासिक पार्टी रही है। इसने 1971 के मुक्ति संग्राम में नेतृत्व भूमिका निभाई थी। लेकिन 5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलन के दौरान हुए हिंसक विद्रोह के बाद तख्तापलट हुआ और शेख हसीना को भारत भागना पड़ा।
तब से लेकर अब तक हसीना और उनकी पार्टी के सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता युद्ध अपराध, भ्रष्टाचार, सामूहिक हत्या जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। कई नेता जेल में हैं तो कई देश छोड़कर भाग चुके हैं।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यरत अंतरिम सरकार ने बीते कुछ महीनों में देश की राजनीतिक और संवैधानिक दिशा को पूरी तरह बदल दिया है।
राजनीतिक भविष्य पर बड़ा प्रश्नचिह्न
इस प्रतिबंध और पंजीकरण रद्दीकरण के साथ ही शेख हसीना का फिर से सत्ता में लौटने का सपना लगभग टूट चुका है। देश की सबसे पुरानी पार्टी का चुनावी राजनीति से निष्कासन बांग्लादेश के लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है।