राजस्थान: पाली जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि देसूरी, रानी और मारवाड़ जंक्शन जैसे क्षेत्रों में उन गांवों में भी हजारों फर्जी लाभार्थी बनाए गए, जहां स्थानीय स्तर पर मुस्लिम आबादी नहीं पाई जाती। इन खातों में अधिकांश नाम मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं और पते उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के दर्ज हैं।
2020 में हुआ घोटाला, अधिकारियों ने दबाया मामला
बताया जा रहा है कि यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2020 में हुआ था। उस समय स्थानीय प्रशासन ने न तो एफआईआर दर्ज की और न ही इस मामले को सार्वजनिक किया। केवल आंतरिक रूप से फर्जी खातों में राशि ट्रांसफर पर रोक लगाई गई थी। अब यह मामला पुनः सामने आने के बाद पुलिस में केस दर्ज किया गया है।
समान समय पर पंजीकरण और स्वीकृति से बढ़ा संदेह
जांच में यह भी सामने आया है कि सभी फर्जी खातों का पंजीकरण एक ही समय पर किया गया और उसी दौरान सभी को पोर्टल पर स्वीकृति भी मिल गई। यह संकेत करता है कि यह कार्य एक संगठित गिरोह द्वारा योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया।
देसूरी में 20 हजार, रानी में 9 हजार और मारवाड़ जंक्शन में 62 खाते पाए गए फर्जी
जांच अधिकारियों के अनुसार, देसूरी क्षेत्र में 20 हजार, रानी में 9,004 और मारवाड़ जंक्शन में 62 फर्जी खाते सामने आए हैं। सभी खातों से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि उठाई गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये खाते ऐसे गांवों में खोले गए हैं, जहां किसी मुस्लिम परिवार का निवास नहीं है।
प्रशासनिक चूक या मिलीभगत, गहन जांच की आवश्यकता
अब पुलिस व प्रशासन दोनों स्तर पर मामले की जांच कर रहे हैं। यह भी परखा जा रहा है कि क्या यह केवल तकनीकी लापरवाही थी या अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा संभव हुआ।
इस घटना ने सरकारी योजनाओं के डिजिटलीकरण में निगरानी की कमजोरियों को उजागर किया है और भविष्य में ऐसे मामलों से बचाव के लिए सख्त ऑडिटिंग की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
(न्यूज़ में दिखाई गई फोटो सांकेतिक है व एआई से निर्मित है।)