झुंझुनूं, 6 जून 2025: वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत शुक्रवार को पत्रकारों के एक दल ने बुहाना क्षेत्र के जल संरक्षण स्थलों का भ्रमण कर वहां किए गए कार्यों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस दौरे का उद्देश्य था – जल संचयन में किए गए तकनीकी नवाचारों को समझना, जन सहयोग से हुए कार्यों को जानना और इन प्रयासों से ग्रामीणों की आजीविका में आए बदलावों को महसूस करना।

भ्रमण की शुरुआत बुहाना पंचायत समिति के अंतर्गत बड़बर गांव से हुई, जहां पत्रकारों ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत चारागाह भूमि पर किए गए जल संरक्षण एवं उद्यानिकी कार्यों का निरीक्षण किया। यहां वर्षा जल को संरक्षित कर पौधारोपण और सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। इस नवाचार से जहां जल स्रोतों का संरक्षण हो रहा है, वहीं क्षेत्र में हरियाली भी बढ़ी है।
इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने भीर्र गांव में निर्मित फॉर्म पोंड का जायजा लिया। स्थानीय किसानों के लिए यह जल संरचना एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गई है। इसमें एकत्रित जल का उपयोग कृषि और बागवानी के लिए किया जा रहा है, जिससे सिंचाई की लागत में कमी आई है और किसानों को स्थायी जल स्रोत उपलब्ध हुआ है।
दौरे के दौरान जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग, बुहाना के अधिशासी अभियंता मनोज गौड़ ने पत्रकारों को योजनाओं की बारीक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत निर्मित जल संरचनाओं से न केवल जल संचयन को बढ़ावा मिला है, बल्कि ग्रामीणों की आमदनी और जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इन संरचनाओं के कारण चारागाह भूमि पर हरियाली बढ़ी है और लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता भी आई है।

इस मौके पर वाटरशेड परियोजना के अधीक्षण अभियंता और पदेन परियोजना प्रबंधक कृष्ण कुमार बाबल, सिंघाना उपखंड के जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के सहायक अभियंता संदीप कुमार, जिला परिषद के अधिशासी अभियंता विजेंद्र सिंह ढाका, बड़बर गांव के सरपंच विनोद कुमार, भीर्र गांव के सरपंच शीशराम मान, किसान पंकज जांगिड़ सहित विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
इस भ्रमण के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि योजनाबद्ध जल संरक्षण प्रयासों से न केवल जल संकट को कम किया जा सकता है, बल्कि ग्रामीण विकास की गति भी तेज की जा सकती है। पत्रकारों ने इस दौरे को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी बताया।