सुलताना: धोलिया चौक स्थित बालाजी मंदिर में आयोजित रामकथा महोत्सव अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। कथा समापन के एक दिन पूर्व आयोजित सत्र में व्यासपीठ से कथावाचक नरेश जोशी ने भगवान राम के जीवन से जुड़े कई मार्मिक प्रसंगों का सजीव वर्णन किया, जिनमें सुग्रीव से मित्रता, सीता की खोज, लंका दहन, और रामसेतु निर्माण जैसी प्रमुख घटनाएं शामिल रहीं।
कथावाचक ने श्रोताओं को बताया कि जब प्रभु की कृपा प्राप्त होती है, तब निर्जीव वस्तुएं भी असाधारण कार्य कर दिखाती हैं। उन्होंने रामसेतु के निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन पत्थरों पर राम का नाम लिखा गया, वे समुद्र में तैरते चले गए। कथा में विभीषण और रावण के बीच हुए संवाद का भी विशेष उल्लेख किया गया। उन्होंने बताया कि विभीषण ने रावण को कई बार समझाने का प्रयास किया, परंतु रावण ने अहंकारवश किसी की नहीं सुनी और अंततः विभीषण को अपमानित कर दरबार से बाहर निकाल दिया। इसके पश्चात विभीषण ने राम की शरण ली, जहां उन्हें भय से मुक्ति और लंका के राज्य का दायित्व मिला।
कथा के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित होने का प्रसंग सुनाया गया, जब मेघनाथ द्वारा शक्ति बाण चलाया गया। इस मार्मिक दृश्य पर श्रोताओं की आंखें नम हो गईं और वातावरण भक्तिभाव से भर उठा।
कथा के अंतिम दिन रावण वध, विजय यात्रा और रामराज्याभिषेक का पाठ किया जाएगा, जिसकी सभी श्रद्धालुओं को प्रतीक्षा है। कथा के प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में भक्तजन बालाजी मंदिर में पहुंचकर रामकथा का श्रवण कर रहे हैं। कथा सत्र के समापन के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई। आयोजकों ने बताया कि कथा के माध्यम से जनमानस को धर्म, मर्यादा और भक्ति का संदेश देने का प्रयास किया गया, जिसे ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक स्वीकार किया।