अमेरिका: ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद भले ही युद्धविराम की घोषणा कर दी गई हो, लेकिन इसके बाद भी तनाव कम होता नहीं दिख रहा है। अमेरिका में अब इस मुद्दे पर आंतरिक सियासी घमासान छिड़ गया है। अमेरिकी मीडिया हाउस सीएनएन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीएनएन ने दावा किया है कि अमेरिकी हमलों के बावजूद ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।
रिपोर्ट में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के बाद हुए नुकसान का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि ईरान की परमाणु क्षमताएं अभी भी सुरक्षित हैं और उसके कई महत्वपूर्ण उपकरण और यूरेनियम भंडार को हमलों से पहले ही अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया था। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीएनएन की इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे ‘फेक न्यूज’ करार देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट केवल भ्रम फैलाने के लिए तैयार की गई है। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है और अब वह किसी भी तरह का परमाणु खतरा नहीं बना सकता।
गौरतलब है कि मंगलवार सुबह ट्रंप द्वारा संघर्षविराम की घोषणा के बाद इजराइल और ईरान के बीच सीधी लड़ाई रुक गई थी। हालांकि, इसके बावजूद दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर सीमित हमले जारी रहे हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हमलों से पूर्व ही ईरानी अधिकारियों ने अपने कुछ संवेदनशील परमाणु उपकरण और यूरेनियम के भंडार को गुप्त स्थानों पर पहुंचा दिया था, जिससे उनकी रणनीतिक क्षमता सुरक्षित रही। रिपोर्ट में उपग्रह तस्वीरों और अमेरिकी खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि फोर्डो और नतांज जैसे संवेदनशील ठिकानों से उपकरणों को हटाया गया था।
इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिका के भीतर राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है। ट्रंप की रणनीति को लेकर जहां एक ओर विपक्ष सवाल उठा रहा है, वहीं ट्रंप समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम बता रहे हैं। आने वाले समय में यह मामला अमेरिकी राजनीतिक विमर्श में और अधिक प्रमुखता से सामने आ सकता है।