नई दिल्ली: भारत ने अपनी रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा तैयार की जा रही ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन (एनजी) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो वजन और लागत के मामले में मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल से आधी से भी कम होगी, तीनों सेनाओं की मारक क्षमता को अत्यधिक बढ़ाएगी। यह मिसाइल विशेष रूप से भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई में अधिक मिसाइलों के लोड होने की संभावना को साकार करेगी, जिससे उसकी मारक क्षमता में भी इजाफा होगा।
सुखोई में लोड हो सकेंगी अधिक मिसाइलें
ब्रह्मोस-एनजी की सबसे बड़ी विशेषता इसका हल्का वजन है। मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलोग्राम है, जबकि ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का वजन घटकर सिर्फ 1260 किलोग्राम रह जाएगा। इसका सीधा फायदा यह होगा कि भारतीय सुखोई विमान में पहले से अधिक मिसाइलें लोड की जा सकेंगी। पहले जहां एक सुखोई विमान में सिर्फ एक मिसाइल लोड हो सकती थी, वहीं अब उसमें पांच मिसाइलें तक लोड हो सकेंगी। इसकी रेंज मौजूदा मिसाइल की तरह 300 किमी होगी, जिससे भारतीय सेनाओं के पास लंबी दूरी तक लक्ष्य को सटीकता से भेदने की क्षमता होगी।

थलसेना और नौसेना को मिलेगा लाभ
ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल का उत्पादन थलसेना और नौसेना के लिए भी बेहद लाभकारी साबित होगा। थलसेना के सिस्टम से पहले तीन मिसाइलों के बजाय अब छह मिसाइलें लोड की जा सकेंगी। वहीं, नौसेना के युद्धपोतों की क्षमता भी बढ़ेगी। इससे भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को बेहतर और प्रभावी हमलों में मदद मिलेगी।
लखनऊ में ब्रह्मोस-एनजी का उत्पादन केंद्र
ब्रह्मोस-एनजी के निर्माण के लिए लखनऊ में एक नया उत्पादन केंद्र तैयार किया गया है। यह सेंटर भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम द्वारा संचालित किया जाएगा। लखनऊ में ब्रह्मोस की पांचवीं उत्पादन यूनिट स्थापित की गई है, जहां केवल एनजी तकनीक वाली मिसाइलों का निर्माण होगा। फिलहाल, ब्रह्मोस के उत्पादन का कार्य तिरुवनंतपुरम, नागपुर, हैदराबाद और पिलानी में हो रहा है।
वृद्धि होगी उत्पादन क्षमता
आने वाले समय में ब्रह्मोस-एनजी की उत्पादन क्षमता में अत्यधिक वृद्धि होगी। वर्तमान में हर साल 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन हो रहा है, लेकिन अगले एक साल में ब्रह्मोस-एनजी की 100 से 150 मिसाइलें तैयार होने लगेंगी। इसके बाद, दोनों तरह की कुल 250 मिसाइलें हर साल तैयार की जा सकेंगी।
भारत-रूस सहयोग और रोजगार सृजन
ब्रह्मोस-एनजी का उत्पादन भारत और रूस के बीच महत्वपूर्ण सहयोग का प्रतीक है। इस परियोजना का हिस्सा बनने से भारत की रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इस सेंटर के जरिए लखनऊ और उत्तर प्रदेश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस यूनिट में शुरुआत में 100 इंजीनियरों को तैनात किया गया है, और आने वाले समय में कुल 400 इंजीनियरों और कर्मचारियों को सीधा रोजगार मिलेगा।
इसके अलावा, ब्रह्मोस की उत्पादन प्रक्रिया में जुड़ी हुई 200 कंपनियों को भी इस परियोजना से लाभ होगा, जिससे रोजगार और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात
भारत के रक्षा क्षेत्र में बढ़ती ताकत का प्रमाण यह है कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रहा है। इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस और अफ्रीका जैसे देशों के साथ भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात शुरू किया है। फिलीपींस से 375 मिलियन डॉलर का आर्डर मिलने पर लखनऊ में तैयार मिसाइलों का योगदान भी इसमें शामिल होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की भूमिका
इस उत्पादन केंद्र की स्थापना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2018 में डिफेंस कॉरिडोर की घोषणा के बाद, लखनऊ को इस सेंटर के लिए चुना गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना के लिए तत्कालीन यूपीडा चेयरमैन अवनीश अवस्थी के साथ जमीन का निरीक्षण किया और इसे डीआरडीओ को सौंपा।