पिलानी, 8 मई 2025: बिरला बालिका विद्यापीठ के प्रांगण में गुरुवार को सिविल डिफेन्स और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बिरला शिक्षण संस्था पिलानी के निदेशक मेजर जनरल एस एस नायर AVSM (रिटायर्ड) ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सिविल डिफेन्स मॉक ड्रिल की प्रक्रिया और आवश्यकता पर छात्राओं, शिक्षकों एवं विद्यालय स्टाफ को गहन जानकारी प्रदान की।

सिविल डिफेन्स मॉक ड्रिल: आपदा से निपटने की तैयारी
मेजर जनरल नायर ने विस्तार से बताया कि सिविल डिफेन्स मॉक ड्रिल एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को आपात स्थिति में सुरक्षित रहने के लिए प्रशिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि—
“यह मॉक ड्रिल एक रिहर्सल की तरह होती है जिसमें हवाई हमले के सायरन, बिजली गुल कर ब्लैकआउट की स्थिति और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसी प्रक्रियाएं लागू की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को आपदा या युद्ध जैसी स्थितियों में शांत, संयमित और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने योग्य बनाना है।”
उन्होंने गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के पालन पर जोर देते हुए मॉक ड्रिल की चरणबद्ध प्रक्रिया, प्राथमिक चिकित्सा, बचाव टीम की भूमिका, तथा सुरक्षा मानकों के अनुपालन पर भी प्रकाश डाला।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक रणनीति
कार्यक्रम के दौरान मेजर जनरल नायर ने ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्य की जानकारी देते हुए बताया कि यह सैन्य अभियान भारत द्वारा आतंकी ठिकानों को लक्ष्य कर उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया था। उन्होंने छात्राओं को बताया कि:
“राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी युवाओं को जागरूक नागरिक बनाने में सहायक होती है और इससे उनमें देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना भी उत्पन्न होती है।”

विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी
छात्राओं ने इस अवसर पर मॉक ड्रिल और ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अनेक जिज्ञासाएँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने मेजर जनरल नायर से प्रश्न पूछे जैसे—
- मॉक ड्रिल में आम नागरिकों की क्या भूमिका होती है?
- युद्ध जैसी स्थिति में स्कूलों का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
- ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति और परिणाम क्या रहे?
इन प्रश्नों के माध्यम से छात्राओं ने विषय की गहराई से जानकारी प्राप्त की और सत्र को अत्यंत उपयोगी बताया।