Monday, June 23, 2025
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की हत्या पर हड़ताल समाप्त, अस्पतालों में सेवाएं फिर से होंगी शुरू

पश्चिम बंगाल, 22 अगस्त 2024: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की हत्या के विरोध में पिछले 11 दिनों से जारी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई है। इस हड़ताल के चलते देशभर के प्रमुख अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं ठप पड़ी हुई थीं, जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अब, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के हस्तक्षेप और भरोसा दिलाने के बाद, डॉक्टरों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है।

हड़ताल समाप्ति का निर्णय

हड़ताल समाप्ति की शुरुआत नई दिल्ली के एम्स से हुई, जहां रेजिडेंट डॉक्टरों ने सीजेआई चंद्रचूड़ के आश्वासन के बाद सेवाएं फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। इसके बाद, अन्य राज्यों की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने भी बैठक की और हड़ताल को समाप्त करने का ऐलान किया। अखिल भारतीय रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फेमा) ने घोषणा की कि 23 अगस्त से सभी अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर अपने कर्तव्यों का पालन पूरी क्षमता के साथ करेंगे।

मरीजों के लिए राहत की उम्मीद

23 अगस्त, शुक्रवार से, देशभर के सभी प्रमुख और छोटे अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं पुनः शुरू हो जाएंगी। डॉक्टर ओपीडी, इलेक्टिव ऑपरेशन थिएटर, रेडियोलॉजिकल जांच, लैबोरेटरी जांच, मरीजों की भर्ती और न्‍यूक्लियर मेडिसिन जैसी सभी सुविधाओं को पूरी क्षमता के साथ संचालित करेंगे।

हड़ताल के चलते, दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी, हेडगेवार, दिल्ली कैंसर इंस्टीट्यूट समेत अन्य बड़े अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं बंद होने से दूर-दराज से आए मरीजों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अनेक मरीज अस्पतालों में उपचार न मिलने के कारण लौट गए, जिससे उन्हें भारी मानसिक और शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ा।

आगे की स्थिति और चुनौतियां

हालांकि, हड़ताल समाप्त होने के बाद चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू हो जाएंगी, लेकिन पिछले 11 दिनों से जिन मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया है, उनकी संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है। यह आशंका है कि अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ने से अगले कुछ दिनों तक ओपीडी और इलेक्टिव ऑपरेशन थियेटर में समय पर सेवाएं उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

डॉक्टरों का कहना है कि वे 100 फीसदी क्षमता के साथ काम करेंगे, लेकिन मरीजों की संख्या में संभावित बढ़ोतरी को देखते हुए इंतजार की अवधि लंबी हो सकती है। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन को भी अतिरिक्त व्यवस्थाओं का इंतजाम करना होगा ताकि मरीजों को शीघ्र और प्रभावी उपचार मिल सके।

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