इंग्लैंड, 04 जुलाई, 2024: भारतीय मूल की 9 वर्षीय स्कूली छात्रा बोधना शिवनंदन ने इतिहास रचने जा रही हैं क्योंकि वह किसी भी खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई हैं। बोधना सितंबर में हंगरी के बुडापेस्ट में होने वाले शतरंज ओलंपियाड में इंग्लैंड की महिला टीम का हिस्सा बनेंगी।
यह उपलब्धि बोधना के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और शतरंज जगत के लिए गौरव की बात है।
अविश्वसनीय प्रतिभा
उत्तर-पश्चिम लंदन के हैरो में रहने वाली बोधना महज 9 साल की उम्र में ही शतरंज में अद्भुत प्रतिभा दिखा रही हैं। टीम में शामिल अन्य खिलाड़ी 20 साल से अधिक उम्र के हैं, जो बोधना की प्रतिभा को और भी उजागर करता है।
खुशी और उत्साह
बोधना ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “जब मेरे पिताजी ने मुझे यह बताया तो मैं बहुत खुश हुई। मुझे उम्मीद है कि मैं अच्छा प्रदर्शन करूंगी और एक और खिताब जीतूंगी।”
प्रशंसा की बौछार
इंग्लैंड शतरंज टीम के मैनेजर मैल्कम पेन ने बोधना को “अब तक देखी गई सबसे उल्लेखनीय ब्रिटिश शतरंज प्रतिभाओं में से एक” बताया है। उन्होंने कहा, “यह रोमांचक है – वह अब तक की सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश खिलाड़ियों में से एक बनने की राह पर है।”
अकल्पनीय प्रतिभा का स्रोत
बोधना के पिता शिवा शिवनंदन भी अपनी बेटी की प्रतिभा से हैरान हैं। उन्होंने कहा, “मैं और मेरी पत्नी दोनों इंजीनियरिंग स्नातक हैं और शतरंज में अच्छे नहीं हैं। यह सोचना आश्चर्यजनक है कि बोधना को यह प्रतिभा कहां से मिली।”
बोधना की शतरंज यात्रा
बोधना ने पहली बार महामारी के दौरान लॉकडाउन में शतरंज खेलना सीखा। उनके पिता के दोस्त भारत वापस जा रहे थे और उन्होंने उन्हें कुछ बैग दिए जिनमें शतरंज का बोर्ड भी था। बोधना को मोहरों में दिलचस्पी थी और उन्होंने खेलना शुरू कर दिया।
तेज़ी से सफलता की ओर
बोधना ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए जल्दी ही सफलता हासिल कर ली। पिछले दिसंबर में, उन्होंने क्रोएशिया के जाग्रेब में यूरोपीय ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप जीती और उन्हें “सुपर टैलेंटेड” करार दिया गया।