भारत में चीनी दूतावास ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू के एक भारतीय मीडिया चैनल पर इंटरव्यू पर आपत्ति जताई। चीन ने आरोप लगाया कि भारतीय मीडिया ने ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ पर बोलने के लिए मंच प्रदान किया, जो कि ‘एक-चीन सिद्धांत’ का गंभीर उल्लंघन है।
ताइपे ने चीन के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि भारत और ताइवान स्वतंत्र और जीवंत प्रेस वाले लोकतंत्र हैं और मीडिया को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत ‘वन चाइना पॉलिसी’ का पालन करता है, जिसका अर्थ है कि वह ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता है। भारत के ताइपे के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच अनौपचारिक संबंध हैं।
चीन ने अपने ‘एक चीन सिद्धांत’ को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘दुनिया में केवल एक चीन है, ताइवान चीन का हिस्सा है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है।’
ताइवान ने चीन को दिया करारा जवाब
चीन के ताइवान को ‘अपने क्षेत्र का हिस्सा’ बताने के दावे पर ताइवान ने करारा जवाब दिया है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा, “न तो भारत और न ही ताइवान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा हैं, हम इसकी कठपुतली नहीं हैं। हम दोनों स्वतंत्र और जीवंत प्रेस वाले लोकतंत्र हैं, हमको किसी भी देश के द्वारा निर्देशित नहीं किया जा सकता है।”
ताइवान ने बीजिंग को आड़े हाथों लिया
- ताइपे ने बीजिंग से कहा कि वह अपनी “आर्थिक मंदी के बारे में चिंता करे, न कि अपने पड़ोसियों को धमकाने के लिए।”
- ताइवान ने कहा कि चीन का ‘एक चीन’ का सिद्धांत “अनैतिक और अवैध” है।
- ताइवान ने कहा कि वह अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था और स्वतंत्रता की रक्षा करेगा।