आपात बैठक में जताया आक्रोश, मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से मुलाकात का निर्णय
झुंझुनूं: जिले में सूचना केंद्र परिसर स्थित भवन को एसीबी न्यायालय को आवंटित किए जाने की प्रक्रिया के विरोध में शनिवार को जिला मुख्यालय पर पत्रकारों की आपात बैठक आयोजित की गई। बैठक में पत्रकारों ने एक सुर में कहा कि यदि जिला प्रशासन ने सूचना केंद्र के प्रेस कार्यालय को हटाने की प्रक्रिया वापस नहीं ली तो वे हर स्तर पर विरोध दर्ज कराएंगे। पत्रकारों ने इसे न केवल वाचनालय और पुस्तकालय की समाप्ति से जोड़ा, बल्कि पत्रकारिता के लिए निर्धारित न्यूनतम बुनियादी ढांचे पर सीधा हमला बताया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर रामावतार मीणा और जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने स्पष्ट किया था कि एसीबी न्यायालय के लिए सूचना केंद्र भवन को आवंटित नहीं किया जाएगा। इसके स्थान पर जिला प्रशासन वैकल्पिक भवन मुहैया करवाएगा। लेकिन कलेक्टर अरुण गर्ग के कार्यभार ग्रहण करने के बाद कुछ अधिकारियों ने उन्हें कथित रूप से गुमराह कर दोबारा पीआरओ कार्यालय को ही निशाना बनाया और नाप-जोख की प्रक्रिया शुरू कर दी।
पत्रकारों ने आरोप लगाया कि एडीएम अजय कुमार आर्य ने सूचना केंद्र पर अनावश्यक रूप से ध्यान केंद्रित कर इसे हटाने की योजना बनाई है। उल्लेखनीय है कि इसी सूचना केंद्र को वातानुकूलित बनाने के निर्देश जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा कुछ ही दिन पहले दिए गए थे, जिसके बाद अचानक इस प्रकार की कार्रवाई को पत्रकारों ने गलत करार दिया।
बैठक में यह तय किया गया कि पत्रकार जल्द ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मुख्य सचिव सुधांशु पंत और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। साथ ही जिले के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से भी संवाद कर समर्थन की मांग करेंगे।
पत्रकारों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि दो से तीन दिन में कोई स्पष्ट और सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ, तो वे सबसे पहले पीआरओ कार्यालय के वाट्सएप समूह से बाहर होंगे, उसके बाद सरकारी कार्यक्रमों के प्रेस नोटों का बहिष्कार करते हुए ‘पोस्टमार्टम’ रिपोर्टिंग शुरू करेंगे, जिसमें प्रशासनिक खामियों को उजागर किया जाएगा।
पत्रकार प्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर अरुण गर्ग से भेंट कर उन्हें मामले की पूरी जानकारी दी और पुराने डाक बंगले, किसान सेवा केंद्र या पर्यटन विभाग जैसी अन्य इमारतों के विकल्प सुझाए। कलेक्टर ने आश्वस्त किया कि पत्रकारों के हितों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और विषय पर पुनः विचार किया जाएगा। इसके बावजूद पत्रकारों ने भवन का नाप-जोख कराए जाने को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कुठाराघात बताया और कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो जिलेभर के मीडियाकर्मी आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।