खेतड़ी (शाहपुर)। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, शाहपुर में बसंत पंचमी के पावन अवसर पर मां सरस्वती की भव्य मूर्ति स्थापित की गई। यह मूर्ति भामाशाह महेंद्र सिंह, करण सिंह, राधेश्याम और श्रीवास कुलहरी द्वारा विद्यालय को भेंट की गई, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए विद्यार्थियों के लिए आस्था और प्रेरणा का स्रोत प्रदान किया है।
बसंत पंचमी पर हुआ मां सरस्वती की मूर्ति का अनावरण
विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य लीलाधर झाझड़िया ने जानकारी देते हुए बताया कि बसंत पंचमी के शुभ दिन पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापना का उद्देश्य विद्यार्थियों में ज्ञान, कला और संगीत के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न करना है। उन्होंने कहा कि यह मूर्ति विद्यालय के शैक्षिक वातावरण को और भी सकारात्मक बनाएगी।
ग्रामवासियों की रही सहभागिता और सामुदायिक समर्थन
मूर्ति स्थापना के इस कार्यक्रम में ग्रामवासियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर दरिया सिंह मीणा (भामाशाहों को प्रेरित करने वाले), शारीरिक शिक्षक सुनील कुमार पुनिया, कनिष्ठ लिपिक नरेंद्र कुमार पुजारी, पंचायत समिति सदस्य सुखवीर मिल, पंचायत सहायक रणजीत सिंह, सहीराम, प्रहलाद सिंह, हजारी शर्मा, हजारी मेघवाल, अशोक मिल, विजयपाल, कृष्णा मास्टर, सुरेश ठेकेदार, नीरज ठेकेदार, देवेंद्र पीटीआई, गजेंद्र सिंह, और कृष्ण मिल सहित सैकड़ों ग्रामीण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
प्रार्थना सभा के लिए टीन शेड का प्रस्ताव
कार्यक्रम के दौरान कार्यवाहक प्रधानाचार्य लीलाधर झाझड़िया ने ग्रामवासियों से विद्यालय परिसर में प्रार्थना सभा के आयोजन के लिए टीन शेड निर्माण का आग्रह किया। ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकारते हुए जल्द से जल्द टीन शेड निर्माण का आश्वासन दिया।
विद्यार्थियों के लिए प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक माहौल
कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों को प्रसाद वितरित किया गया, जिससे वातावरण में उल्लास और आनंद की भावना व्याप्त हो गई। बच्चों के चेहरों पर खुशी स्पष्ट दिखाई दे रही थी, और पूरा परिसर भक्ति भाव और सांस्कृतिक रंगों में रंगा हुआ था।
निष्कर्ष: शिक्षा और आस्था का संगम
मां सरस्वती की मूर्ति स्थापना न केवल विद्यालय के शैक्षिक परिवेश को समृद्ध करेगी, बल्कि विद्यार्थियों को ज्ञान, विद्या और संस्कारों के प्रति प्रेरित भी करेगी। ग्रामवासियों और विद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयास से यह कार्यक्रम एक यादगार अवसर बन गया।
शाहपुर में शिक्षा और संस्कृति के इस अनोखे संगम ने साबित कर दिया कि जब समाज और विद्यालय एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो विकास के नए आयाम स्थापित होते हैं।